सैफुल्लाह एनकाउंटर केस: आज गवाही देंगे पूर्व ATS चीफ असीम अरुण, विस्तार से जानें मामला

पांच साल पहले लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में हुए सैफुल्लाह एनकाउंटर केस में अब गवाही अंतिम दौर में है. सोमवार को मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार…

संतोष शर्मा

• 04:13 AM • 19 Jul 2022

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पांच साल पहले लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में हुए सैफुल्लाह एनकाउंटर केस में अब गवाही अंतिम दौर में है. सोमवार को मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार व तत्कालीन आईजी एटीएस असीम अरुण की गवाही शुरू हुई है. असीम अरुण मंगलवार को भी लखनऊ की स्पेशल एनआईए कोर्ट में अपनी गवाही बयान दर्ज कराएंगे.

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क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि 7 मार्च 2017 को लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके एक किराए के मकान में रहने वाले सैफुल्लाह का यूपी एटीएस ने इनपुट मिलने के बाद एनकाउंटर कर दिया था. बड़ी मशक्कत के बाद सैफुल्ला को तो ढेर कर दिया गया, लेकिन उसके घर से बरामद हथियार और दस्तावेज एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे थे. जिसका कनेक्शन उज्जैन में ट्रेन ब्लास्ट की साजिश से भी था. मामला कई राज्यों से जुड़ा था. आईएसआईएस मॉड्यूल से तार जुड़े थे, लिहाजा जांच एनआईए को दे दी गई.

शुरुआती जांच के दौरान ही साफ हो गया इससे सैफुल्लाह के घर से बरामद पिस्टल से ही कानपुर में एक सड़क चलते शिक्षक की वेपन ट्रायल में हत्या की गई थी. जांच के दौरान दो युवक फैजल और आतिफ मुजफ्फर भी पकड़े गए थे. एनआईए ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है और अब गवाही चल रही है. इसी कड़ी में सोमवार दोपहर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री स्वतंत्र प्रभार और साल 2017 में यूपी एटीएस चीफ रहे असीम अरुण ने भी गवाही बयान दर्ज करवाए. असीम अरुण की गवाही मंगलवार को भी होगी.

घटना के वक्त असीम अरुण की अगुवाई में ही पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था. बतौर आईजी एटीएस असीम अरुण ने ना सिर्फ घर के अंदर से फायरिंग कर रहे सैफुल्लाह को मुठभेड़ में मार गिराने के ऑपरेशन को अंजाम दिया, बल्कि उसके ठिकाने से बरामद तमाम अहम सबूतों के आधार पर जांच के तार कानपुर व अन्य शहरों तक पहुंचे थे.

इस मामले में जांच करते हुए एनआईए ने 8 आरोपी कानपुर के गौस मोहम्मद खान, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद दानिश, आसिफ इकबाल, मोहम्मद अजहर, मोहम्मद आतिफ, आतिफ मुजफ्फर और सैयद मीर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

एनआईए ने अपनी दाखिल चार्जशीट में लिखा कि सैफुल्लाह और उसके साथियों के आईएस से सीधे कनेक्शन थे. वे आईएस का प्रचार प्रसार कर आतंकी घटनाओं के लिए धन और हथियार जुटाने में लगे थे. ठाकुरगंज स्थित ठिकाने को अपना ट्रेनिंग सेंटर और छिपने का अड्डा बनाया था. सैफुल्लाह और उसके साथियों के निशाने पर बाराबंकी का देवा शरीफ समेत कई दरगाह व धर्मगुरु भी थे, जिसमें राजधानी के नामी शिक्षण संस्थान के तीन धर्मगुरु भी टारगेट पर थे.

मध्य प्रदेश पुलिस के इनपुट पर लखनऊ के ठाकुरगंज में शुरू हुए इस ऑपरेशन के बाद इस पूरे ग्रुप के तीन सदस्यों को मध्य प्रदेश पुलिस ने और पांच आरोपियों को यूपी एटीएस ने कानपुर और आसपास के इलाकों से गिरफ्तार किया था.

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