हादसे में युवक के गले की खाने की नली कटकर लटकी, KGMU के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर किया ठीक

सत्यम मिश्रा

• 10:38 AM • 06 Aug 2022

सीतापुर के लहरपुर क्षेत्र के रहने वाले 28 वर्षीय युवक का एक जानवर को बचाने के चक्कर में रोड पर भीषण एक्सीडेंट हो गया था.…

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सीतापुर के लहरपुर क्षेत्र के रहने वाले 28 वर्षीय युवक का एक जानवर को बचाने के चक्कर में रोड पर भीषण एक्सीडेंट हो गया था. जिसके चलते तत्काल उसे परिजनों की मदद से लखनऊ के ट्रामा सेंटर इमरजेंसी वार्ड में लाया गया, जहां पर उसका प्रारंभिक उपचार किया गया. मगर स्थिति गंभीर होने के चलते तत्काल थोरेसिक डिपार्टमेंट के डॉक्टरों से संपर्क किया गया, क्योंकि एक्सीडेंट में युवक के गले में काफी क्षति हो चुकी थी और रक्तस्राव भी काफी हो रहा था. इसके बाद युवक को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के थोरेसिक सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया.

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थोरेसिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉक्टर और सर्जन शैलेंद्र यादव ने बताया कि सीतापुर के रहने वाले 28 वर्षीय युवक के साथ सड़क दुर्घटना हो गई थी, जिसमें युवक एक पशु को बचाने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और कांटे वाले तार की रेलिंग से जा टकराया और गले में कांटेदार तार घुस गए और गाड़ी रफ्तार में होने के कारण युवक तार वाले कांटे के साथ घसीटा हुआ आगे तक चला गया, जिसकी वजह से गले में मौजूद ईसोफागस और ट्रेकिया पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए थे.

बता दें कि ईसोफैगस लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी नली होती है, जो मुख के पीछे ग्रसनी से शुरू होती है और श्वास नलिका से होते हुए हृदय के पीछे से वक्ष के थोरेसिक डायफ़्राम से गुजरती है और आमाशय के सबसे ऊपरी भाग में आकर जुड़ती है. इसे ग्रसिका नली भी कहते हैं.

सर्जन शैलेंद्र यादव ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि भर्ती के दौरान युवक को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. साथ ही खाने की नली पूरी तरीके से कटकर गले से लटक रही थी. ऐसी स्थिति में शिवाय सर्जरी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था और फिर थोरेसिक सर्जरी विभाग के अन्य सर्जनों की मदद से तत्काल ऑपरेशन किया गया.

थोरेसिक सर्जरी विभागाध्यक्ष बताते हैं कि ऑपरेशन लगातार 4 घंटे चला, जिसमें कटी हुई गले की नलियों को सावधानी पूर्वक रिपेयर किया गया. इस दौरान मरीज को एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ. तन्मय के जरिए एनेस्थीसिया दिया गया.

वहीं आईसीयू की डॉक्टर जिया ने भी इंटेंसिव केयर यूनिट से संबंधित जो भी जरूरत थी, उसे मरीज को मुहैया कराया. जिसकी वजह से उसकी जान बच गई.

डॉक्टर शैलेंद्र ने बताया कि मरीज की स्थिति इस वक्त बेहतर है. हालांकि उसके गले में मौजूद खाने की ग्रंथियों को रिपेयर किया गया है. जिसकी वजह से मरीज को भोजन अभी ट्यूब की सहायता से दिया जा रहा है, क्योंकि अभी हाल ही में ऑपरेशन हुआ है तो कोई दिक्कत ना आए, इसलिए अभी ट्यूब डालकर भोजन कराया जा रहा है लेकिन हफ्ते भर बाद उसकी स्थिति और बेहतर हो जाएगी और फिर जांच करके रिपोर्ट के अनुसार हिदायत दी जाएगी और फिर वह नॉर्मल तरीके से खा-पी सकेगा, फिलहाल वह खतरे से बाहर है और स्वस्थ है.

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