IIM लखनऊ लेकर आया शानदार स्कॉलरशिप, जानिए इसका क्राइटेरिया और इसे पाने का पूरा तरीका

IIM Lucknow New scholarship: IIM लखनऊ ने 1999 बैच के पूर्व छात्रों की मदद से '99 मूनशॉट्स' फेलोशिप शुरू की. जानें कैसे यह ग्रांट PhD स्कॉलर्स को 3 लाख तक की सहायता और 1 लाख का प्रकाशन पुरस्कार देकर रिसर्च को बढ़ावा देगी.

IIM Lucknow

यूपी तक

• 05:32 PM • 26 Nov 2025

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IIM Lucknow ने बुधवार को 99 मूनशॉट्स नाम की एक नई स्कॉलरशिप की घोषणा की. यह फेलोशिप IIM लखनऊ के 1999 बैच के पूर्व छात्रों द्वारा दी गई मदद से शुरू की गई है. इसका मकसद PhD कर रहे छात्रों के बीच रिसर्च को बढ़ावा देना है. 99 मूनशॉट्स नाम की इस फेलोशिप में स्कॉलर्स को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी और किस तरीके से चयन प्रक्रिया होगी, सब कुछ विस्तार से जानिए.

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इस बार कितने स्कॉलर्स को मिलेगी ये मदद?

इस साल दो PhD स्कॉलर्स को यह फेलोशिप मिलेगी. इस फेलोशिप का उद्देश्य PhD समुदाय को मजबूत बनाना है. ताकि वे उच्च स्तरीय रिसर्च कर सकें. इसे IIM लखनऊ के पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम के 1999 बैच के पूर्व छात्रों ने फंड किया है. 

क्या-क्या मिलेंगी सुविधाएं?

अधिकारियों के अनुसार, यह फेलोशिप होनहार PhD स्कॉलर्स को मजबूत बनाने के लिए डिजाइन की गई है. इसमें कई तरह की सुविधाएं शामिल होंगी:

  • प्रतिष्ठित जर्नल्स में रिसर्च छपने या स्वीकार होने पर 1 लाख रुपये का पुरस्कार.
  • स्कॉलर्स को अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में अपना शोध प्रस्तुत करने के लिए 3 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा.
  • आकस्मिक खर्चों और डेटा जुटाने के लिए अतिरिक्त अनुदान भी दिया जाएगा.

IIM लखनऊ के डीन संजय सिंह ने ये बताया

IIM लखनऊ के डीन (प्रोग्राम) संजय सिंह ने कहा, "हम अपने PhD छात्रों के लिए यह फेलोशिप शुरू करने में उदारता से योगदान देने के लिए 1999 बैच के बहुत आभारी हैं. भविष्य के विद्वानों को पोषित करने की उनकी प्रतिबद्धता IIM लखनऊ के पूर्व छात्र समुदाय की सच्ची भावना को दर्शाती है. मैं पहले फेलोशिप पाने वाले छात्रों को उनकी उत्कृष्ट शैक्षणिक क्षमता के लिए बधाई देता हूं."

IIM लखनऊ के 1999 बैच के पूर्व छात्र आशीष भगारे ने कहा, "अपने संस्थान की वैश्विक रैंकिंग को मजबूत करने के लिए यह फेलोशिप हमारे समर्थन का तरीका है. हमें इस साल दो PhD स्कॉलर्स को स्पॉन्सर करने पर गर्व है और हमें उम्मीद है कि भविष्य में हम और भी कई लोगों की मदद करेंगे."

चयन प्रक्रिया के लिए आवेदकों को अपनी रिसर्च का प्रस्ताव एक खास कमेटी के सामने पेश करना होगा, जिसका मूल्यांकन तय मापदंडों पर होगा. स्कॉलर्स को अपनी प्रगति बनाए रखने के लिए हर छह महीने में एक निगरानी समिति के सामने अपने शोध का अपडेट भी देना होगा.

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