UP News: कानपुर सीएमओ ऑफिस में 2 सीएमओ अगल-बगल कुर्सी डालकर बैठे हैं. दरअसल कानपुर सीएमओ का विवाद फिर शुरू हो गया है. हुआ यूं कि हाईकोर्ट का आदेश लेकर बुधवार सुबह पूर्व CMO हरिदत्त सीएमओ ऑफिस में पहुंचे गए. उस समय तक वर्तमान सीएमओ दफ्तर नहीं पहुंचे थे. पूर्व CMO ने आकर कुर्सी पर बैठ गए. उनका कहना था कि मैं हाई कोर्ट के आदेश पर वह ज्वाइन करने आए हैं. कोर्ट ने उनका सस्पेंड आदेश भी हटा दिया है और पुरानी जगह पर ज्वाइन करने का आदेश दे दिया है.
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इसी दौरान वर्तमान CMO उदयनाथ दफ्तर आ गए. पुराने CMO को अपनी कुर्सी पर बैठा देख वह भी चौंक गए. पूरा मामला जानने के बाद वह भी कुर्सी के बगल में दूसरी कुर्सी डालकर बैठ गए. उनका कहना था कि उन्हें अभी तक प्रमुख सचिव की तरफ से इस तरह का कोई आदेश नहीं आया है. जैसा शासन का आदेश आएगा, वैसा किया जाएगा.
क्या है कानपुर का CMO विवाद?
दरअसल ये पूरा विवाद कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और कानपुर के पूर्व सीएमओ हरिदत्त के बीच था. डीएम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी पर गंभीर आरोप लगाते हुए शासन को पत्र लिखा था. डीएम का कहना था कि जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में निरीक्षण के दौरान कई खामियां सामने आईं. डॉक्टरों के तबादलों में कथित मनमानी और स्वास्थ्य सेवाओं में निष्क्रियता के लिए डीएम ने सीएमओ को जिम्मेदार ठहराया था.उन्होंने शासन से सीएमओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
मामला तब और तूल पकड़ा जब सोशल मीडिया पर तीन ऑडियो क्लिप्स वायरल हो गईं. इन क्लिप्स में दावा किया जा रहा है कि सीएमओ डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कर रहे हैं. एक क्लिप में कथित तौर पर सीएमओ कहते सुनाई दे रहे थे कि "75 जिलों में ऐसा कोई डीएम नहीं देखा जो इस तरह बात करता हो." दूसरी क्लिप में हर महीने "आमदनी निकालने" और पैसे की व्यवस्था को लेकर बातचीत का जिक्र था. हालांकि इन ऑडियो क्लिप्स की सत्यता की पुष्टि नहीं हुई हुई थी. पूर्व सीएमओ हरिदत्त का कहना था कि ये आवाज उनकी नहीं है. इस मामले में कानपुर भाजपा विधायक भी आपस में बंट गए थे. आखिर में शासन ने सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया था.
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