Noida crime news: गौतमबुद्ध नगर में एक 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला से साइबर ठगों ने 3.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली. खुद को सीबीआई और पुलिस अधिकारी बताने वाले ठगों ने महिला को फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी दी और उसे करीब 15 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा. इस दौरान महिला से व्हाट्सएप कॉल पर पूछताछ की गई और डराकर अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर करवा ली गई.
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आधार कार्ड से जुड़े फर्जी खाते का डर दिखाया
शिकायतकर्ता वकील हेमंतिका वाहे ने बताया कि 10 जून को उन्हें एक कॉल आई जिसमें कहा गया कि उनके आधार कार्ड से चार संदिग्ध बैंक खाते खोले गए हैं जिनसे जुए, हथियारों की खरीद-फरोख्त और ब्लैकमेलिंग जैसे अपराध हो रहे हैं. इसके बाद एक नंबर दिया गया और जब महिला ने उस नंबर पर संपर्क किया तो कहा गया कि उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है.
फर्जी पुलिस स्टेशन से आते रहे कॉल
महिला के अनुसार, इसके बाद उन्हें फर्जी पुलिस स्टेशनों से कॉल आने लगे. उन्हें व्हाट्सएप कॉल पर रखा गया, किसी से बात न करने की सख्त हिदायत दी गई और डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 10 जून से 24 जून तक मानसिक दबाव में रखा गया.
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FD तुड़वाकर किए करोड़ों ट्रांसफर
डरी हुई महिला ने फिक्स्ड डिपॉजिट तुड़वाकर करीब 3.29 करोड़ रुपये RTGS के माध्यम से राजस्थान के विपुल नगर, हरियाणा के भिवानी, दिल्ली के पंजाबी बाग, कोलकाता और कर्नाटक के उडुपी स्थित खातों में ट्रांसफर कर दिए.
नोएडा साइबर पुलिस कर रही जांच
महिला को ठगी का एहसास होने के बाद उन्होंने NCRP पोर्टल और नोएडा साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया. अब पुलिस ने FIR दर्ज कर संदिग्ध मोबाइल नंबरों और खातों की जांच शुरू कर दी है.
इसी तरह की एक और घटना में बुजुर्ग से 49.5 लाख की ठगी
साइबर पुलिस डीसीपी प्रीति यादव के अनुसार, एक अन्य केस में सेक्टर-29 निवासी 75 वर्षीय राजीव कुमार को भी ठगों ने 12 दिन के लिए डिजिटल अरेस्ट में रखा और 49.50 लाख रुपये हड़प लिए. आरोपियों ने उन्हें ड्रग्स तस्करी, मानव तस्करी और आतंकी फंडिंग जैसे मामलों में फंसाने की धमकी दी थी.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर ठगी तकनीक है जिसमें अपराधी पीड़ित को व्हाट्सएप, वीडियो कॉल या वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर रखकर मानसिक दबाव में डालते हैं. वे खुद को CBI, पुलिस या अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हैं और पीड़ित को किसी झूठे केस में फंसाने की धमकी देते हैं. पीड़ित डरकर किसी से बात नहीं करता और ठगों के निर्देश पर पैसा ट्रांसफर कर देता है.
(पीटीआई के इनपुट्स के साथ).
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