बागपत की वंशिका चौधरी कजाकिस्तान से जीत लाईं गोल्ड मेडल, शूटिंग में यूं बनाया मुकाम

बागपत के जौहड़ी गांव की वंशिका चौधरी ने कजाकिस्तान में आयोजित एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया. दादी चन्द्रो तोमर से प्रेरणा लेकर वंशिका ने गांव की शूटिंग रेंज से शुरुआत की और अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर तय किया.

मनुदेव उपाध्याय

23 Aug 2025 (अपडेटेड: 23 Aug 2025, 07:20 PM)

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Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जौहड़ी गांव की धरती से एक बार फिर देश का नाम रोशन हुआ है. जहां कभी मशहूर शूटर दादी चन्द्रो और प्रकाशी तोमर की बंदूकों की गूंज सुनाई देती थी, वहीं आज उनकी प्रेरणा से गांव की बेटी वंशिका चौधरी ने कजाकिस्तान में आयोजित एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया है. इस सुनहरे मुकाम पर पहुंचने के लिए वंशिका ने अपने गांव की मिट्टी से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक एक लंबा सफर तय किया है.

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दादी चन्द्रो की प्रेरणा से शुरू हुआ सफर

बागपत के जौहड़ी गांव की रहने वाली वंशिका चौधरी बचपन से ही दादी चन्द्रो और प्रकाशी तोमर की कहानियां सुनकर बड़े हुईं. शूटर दादी की जिंदादिली और उनका हौसला वंशिका के दिल में शूटिंग के प्रति जुनून जगाने वाला प्रेरक स्रोत बनी. आपको बता दें कि उन्होंने दादी के द्वारा बनवाई गई गांव की शूटिंग रेंज से अपने करियर की शुरुआत की.

मेहनत और लगन से मिली अंतरराष्ट्रीय सफलता

वंशिका ने स्टेट और नेशनल स्तर पर अपनी योग्यता साबित करने के बाद एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने न सिर्फ एक, बल्कि दो स्वर्ण पदक जीतकर भारत के झंडे को कजाकिस्तान में बुलंद किया. उनकी इस सफलता से गांव में खुशी का माहौल है और लोग ढोल नगाड़ों के साथ उनका स्वागत कर रहे हैं.

गांव में है खुशी का माहौल

वंशिका की जीत की खबर मिलते ही जौहड़ी गांव में उत्सव का माहौल बन गया. ढोल-नगाड़ों की थाप पर मिठाइयां बांटी जा रही हैं. शूटर दादी चन्द्रो की पोती और नेशनल शूटर शेफाली ने कहा, “वंशिका ने दादी के सपने को सच कर दिखाया है. दादी होतीं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता. यह जीत साबित करती है कि हौसले बुलंद हों तो उम्र और हालात कभी मायने नहीं रखते.”

क्या है वंशिका का आगे का लक्ष्य

वंशिका चौधरी ने कहा, “मैंने हमेशा दादी को अपना आदर्श माना है. उनके किस्से मुझे प्रेरणा देते रहे हैं. देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर ऐसा लगता है जैसे उनका सपना मेरा सपना बन गया है. मेरा अगला लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीतना है.”

वंशिका की जीत सिर्फ एक खिलाड़ी की सफलता नहीं, बल्कि पूरे बागपत की धरती की जीत है. यह साबित करता है कि जौहड़ी गांव की मिट्टी में अभी भी वह जज़्बा और हुनर मौजूद है जो भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाने की क्षमता रखता है. दादी चन्द्रो और प्रकाशी तोमर की विरासत अब नई पीढ़ी के साथ आगे बढ़ रही है.

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