उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 26 मई, गुरुवार को विधानसभा में पेश कर रही है. सदन में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ये बजट पेश कर रहे हैं. सुरेश खन्ना की तरफ से वित्तीय वर्ष 2022-23 में बाल कल्याण को लेकर तमाम घोषणाएं हुई हैं. आइए आपको इन घोषणाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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बजट पेश करते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि हाल के सालों में हमारी सरकार ने बच्चों के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया है. नतीजतन पिछले कुछ वर्षों में शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है. दस्तक कार्यक्रम इस सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है जिसका परिणाम ये हुआ कि एईएस/जेई से प्रभावित सभी क्षेत्रों में बच्चों की मृत्यु में बड़ी कमी आई है.
उन्होंने कहा कि सिक एण्ड न्यूबॉर्न करते हुये सरकार अधिक बच्चों की केयर यूनिट्स के विस्तार पर ध्यान केन्द्रित ने पिछले पांच सालों में हर साल एक लाख से मृत्यु को रोका है. सरकार कुपोषण के मुद्दों को दूर करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है और 203 ब्लॉक स्तरीय केन्द्रों को बढ़ावा देकर कुपोषण पुनर्वास केन्द्रों को जिलों से ब्लॉक तक ले जाने के लिए बजटीय प्रावधान किया जा रहे हैं.
वित्त मंत्री ने कहा,
“कोविड-19 संक्रमण के कारण अनाथ / प्रभावित हुये बच्चों के भरण-पोषण , शिक्षा , चिकित्सा आदि की व्यवस्था हेतु माह – जून, 2021 से यूपी मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का संचालन किया जा रहा है. योजनान्तर्गत पात्र बच्चों को 4000 रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.”
सुरेश खन्ना
उन्होंने कहा कि कोविड -19 संक्रमण से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता – पिता अथवा दोनों / अभिभावक को खोने वाले बच्चों के भरण – पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्था हेतु अगस्त 2021 से उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना ( सामान्य ) का संचालन किया जा रहा है.
सुरेश खन्ना ने कहा,
“नया सवेरा कार्यक्रम का उद्देश्य हमारे समाज से बाल श्रम को पूरी तरह समाप्त करना है. जरूरतमंद परिवारों को नकद हस्तांतरण किया जा रहा है ताकि परिवार उन बच्चों की शिक्षा जारी रख सकें जिनके बाल श्रम में शामिल होने का खतरा है. कार्यक्रम के अच्छे परिणाम आए और कई ग्राम पंचायतों को बाल श्रम मुक्त घोषित किया जा रहा है.”
सुरेश खन्ना
उन्होंने ऑपरेशन विद्यालय कायाकल्प कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके माध्यम से सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को रूपान्तरित किया गया है. नतीजतन पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन में वृद्धि हुई है, जिसने सालों की गिरावट के रूझानों को उलट दिया.
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