उत्तर प्रदेश में चल रहे 1 से लेकर आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों को स्कॉलरशिप बंद कर दी गई है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह के मुताबिक केंद्र सरकार का जो भी नोटिफिकेशन है, उसका पालन उत्तर प्रदेश में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की मंशा है कि अच्छी शिक्षा दी जाए ऐसे में जो भी निर्देश दिए जा रहे हैं वह सरकार के मुताबिक हैं.
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उत्तर प्रदेश में स्कॉलरशिप ऐसे समय पर बंद की गई है, जब लाखों बच्चों ने इसके लिए आवेदन कर दिया था और अपने स्कालरशिप के इंतजार में थे. ऐसे में स्कूल के प्रिंसिपल के मुताबिक इससे बच्चों का अर्थ होगा और उन लोग से बच्चे अपने लिए कलम पेंसिल या कुछ जरूरत का सामान लेते थे, जो अब नहीं ले सकेंगे.
उत्तर प्रदेश से मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निजामी के मुताबिक सरकार केंद्र सरकार इस तरीके से माइनॉरिटी को टारगेट कर रही है. ऐसे में मदरसों में स्कॉलरशिप बंद किया जाना बेहद ही निंदनीय है. ऐसे में सरकार को सोचना चाहिए कि मदरसे और पाठशाला हैं. राइट टू एजुकेशन के तहत नहीं आते हैं. सरकार का हवाला दे रही है और बता रहे हैं कि इसलिए हमने बंद किया है तो मदरसों को जो स्कॉलरशिप उससे कई ऐसे कार्य है. जो बच्चों के हो जाते थे, जो अब नही हो पाएंगे.
सरकारी मदरसे के प्रिंसिपल सैयद अथर अब्बास रिजवी के मुताबिक देखिए जिस तरीके से मदरसे में बंद किया गया है. माना जा रहा है कि छात्रों का नुकसान ही होगा क्योंकि जो छात्रवृत्ति मिलती थी. उससे थोड़ा सा बच्चे या कुछ चीजें खरीद लेते थे लेकिन अगर नहीं मिलेगी तो ऐसी स्थिति में उनका काफी नुकसान है. सरकार को बंद नहीं करना चाहिए था. सरकार को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए छात्रवृत्ति एक बड़ा सहारा थी.
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