विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग में ‘मुफ्त’ में पढ़े और बजरंग बन गए IPS, अद्भुत योजना है ये तो

Vikas Divyakirti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले बजरंग प्रसाद की कहानी काफी प्रेरक है. आपको बता दें कि हालात पक्ष में…

यूपी तक

30 May 2023 (अपडेटेड: 30 May 2023, 02:59 PM)

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Vikas Divyakirti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले बजरंग प्रसाद की कहानी काफी प्रेरक है. आपको बता दें कि हालात पक्ष में न होने के बावजूद बजरंग ने वो कामयाबी हासिल की है, जिसकी कल्पना कभी-कभी भारतीय कर ही लेता है. दरअसल, बजरंग ने UPSC-2022 में 454वीं रैंक हासिल की है. बजरंग ने साल 2019 में UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की थी. साल 2020 में उनके पिता की हत्या हो गई. पिता की हत्या ने बजरंग को अंदर से झकझोर कर रख दिया. ऐसे में बेटे बजरंग के सिर पर UPSC की परीक्षा को पास करने का जुनून सवार हो गया था. इस बार उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर दी है. तीसरे प्रयास में उन्होंने यह सफलता पाई है. बजरंग प्रसाद दृष्टि IAS के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के छात्र हैं. इंडिया टुडे के डिजिटल चैनल न्यूज तक से बातचीत में बजरंग ने विस्तार से बताया कि उन्होंने विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग में मुफ्त में पढ़ाई की और UPSC क्रेक कर दिया. जानें उन्होंने क्या-क्या बताया?

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बजरंग के अनुसार, “विकास सर ने 2-3 प्रोग्राम चलाए हुए हैं. एक में तो मैं खुद भागीदार रहा हूं, जिसमें मैंने एक पैसा नहीं दिया था. इसमें यह था कि आप कहीं से भी प्रिलिम्स निकालिए इसके बाद मेंटरशिप के तहत प्रिलिम्स से लेकर इंटरव्यू तक वह आपको हर तरह की सहायता देंगे.”

उन्होंने बताया, “दूसरा यह है कि अगर कोई बच्चा उनके यहां पढ़ा हुआ है तो वह एक टेस्ट लेंगे, जिसके बाद 1000 बच्चों का चयन होगा और वह फ्री में लाइब्रेरी में पढ़ सकेंगे.”

बजरंग ने आगे बताया, “सर ने शायद एक अस्मिता स्कीम चला रखी है. इसके तहत उस बच्चे की मदद की जाती है जो गरीब है और आगे बढ़ना चाहता है. इसमें 50-60 बच्चों का चयन किया जाता है. यह बिल्कुल फ्री है, रहने खाने से लेकर पढ़ाई तक.”

‘पढ़ाई के लिए पिता ने गेहूं की फसल बेच दी थी’

बजरंग ने बताया कि 10 मई, 2019 से उन्होंने दिल्ली में आकर UPSC की परीक्षा की तैयारी शुरू की. उन्होंने बताया कि दिल्ली में पढ़ाई के लिए पैसे के इंतजाम करने के लिए उनके पिता ने साल 2020 में गेहूं की फसल को बेच दी थी. 40-50 हजार रुपये में फसल की बिक्री हुई थी. यह पूरा पैसा पिता ने कोचिंग की फीस के लिए उन्हें दे दिया था.

बजरंग यादव से की गई पूरी बातचीत यहां नीचे सुनी जा सकती है

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