सीएम योगी पर बनी फिल्म को रिलीज करने में पेच फंसा! हाई कोर्ट की शरण में पहुंचा प्रोडक्शन हाउस

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' की रिलीज में देरी पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने CBFC को नोटिस भेजा. निर्माताओं ने NOC की 'अवैध' मांग और 30 करोड़ के नुकसान का आरोप लगाया. जानें पूरा मामला.

Ajey The Untold Story of a Yogi

यूपी तक

• 08:20 AM • 16 Jul 2025

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित बताई जा रही फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी ' की रिलीज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. फिल्म के प्रोडक्शन हाउस 'सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. प्रोडक्शन हाउस का आरोप है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) फिल्म को सर्टिफिकेट देने में मनमाने तरीके से और बेवजह देरी कर रहा है. हाई कोर्ट ने इस मामले में CBFC को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई 17 जुलाई को तय की है.

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क्या है फिल्म और क्यों फंसा पेच?

यह फिल्म लेखक शांतनु गुप्ता की किताब 'द मोंक हू बिकेम चीफ मिनिस्टर - The Monk Who Became Chief Minister' से प्रेरित बताई जा रही है. यह किताब सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन और सार्वजनिक नेतृत्व पर आधारित है. फिल्म 1 अगस्त, 2025 को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है.

CBFC पर आरोप

निर्माता कंपनी का दावा है कि CBFC फिल्म, उसके टीजर, ट्रेलर और एक प्रमोशनल गाने के सर्टिफिकेशन आवेदनों को संसाधित करने में मनमाने, अनुचित और अस्पष्टीकृत देरी कर रहा है. निर्माताओं का सबसे बड़ा आरोप यह है कि CBFC ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की मांग की है. निर्माताओं का कहना है कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम या उसके तहत बनाए गए नियमों में ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है. उनके मुताबिक यह मांग 'त्रुटिपूर्ण और निराधार' है. 

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निर्माताओं ने वित्तीय नुकसान का भी किया दावा

निर्माताओं का कहना है कि जिस किताब पर फिल्म आधारित है, उसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर एंडोर्स किया है.  यह बात CBFC को भी बताई गई थी. उन्होंने मुख्य फिल्म, टीजर, ट्रेलर और प्रमोशनल गाने के सर्टिफिकेशन के लिए CBFC को समय पर विभिन्न आवेदन जमा किए थे. हालांकि, CBFC सिनेमैटोग्राफ अधिनियम और सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणीकरण) नियम के तहत निर्धारित वैधानिक समय-सीमा के भीतर आवेदनों पर कार्रवाई करने में विफल रहा है. 

दावा किया जा रहा है कि फिल्म की रिलीज में हो रही इस देरी से निर्माताओं को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और प्रमोशनल सहयोग सहित प्री-रिलीज खर्च के रूप में लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. फिल्म की रिलीज तक लगभग और 10 करोड़ रुपये का संभावित खर्च होने वाला है.

हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस

बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की. CBFC के एक अधिकारी ने वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया और सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि CBFC को कानून में निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रमाण पत्र जारी करना आवश्यक है और इसलिए वह उस दायित्व से पीछे नहीं हट सकता.

निर्माताओं के वकील रवि कदम और अधिवक्ता सतत्य आनंद व निखिल आराधे ने बताया कि CBFC ने आज तक फिल्म, टीज़र और प्रमोशनल गाने की स्क्रीनिंग भी निर्धारित नहीं की है.

आवेदन प्रक्रिया में देरी

  • फिल्म निर्माताओं ने मुख्य फिल्म के सर्टिफिकेशन के लिए सबसे पहले 5 जून, 2025 को आवेदन किया था.
  • प्रमाणीकरण नियमों के नियम 37 के अनुसार, CBFC को सात दिनों के भीतर आवेदनों की जांच करनी होती है और 15 दिनों के भीतर फिल्म को स्क्रीनिंग के लिए भेजना होता है. इसके बावजूद, लगभग एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
  • 3 जुलाई को, याचिकाकर्ताओं ने दोबारा आवेदन किया और CBFC अधिकारियों की सलाह पर मानक शुल्क का तीन गुना भुगतान किया.
  • 7 जुलाई को स्क्रीनिंग निर्धारित की गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही बिना कोई जानकारी दिए अचानक रद्द कर दी गई.

यह मामला अब कानूनी पेचीदगियों में फंस गया है, और सभी की निगाहें 17 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं.

रिपोर्ट क्रेडिट: इंडिया टुडे.
 

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