महाकुंभ में नागा साधु मणिराज पूरी का स्पेशल पॉडकास्ट, कैमरे पर बता दी Naga बनने की पूरी प्रक्रिया

यूपी Tak ने दिगंबर मणिराज पूरी के साथ एक खास पॉडकास्ट किया है. उत्तराखंड से आने वाले मणिराज पुरी न केवल एक दिगंबर नागा साधु हैं, बल्कि राष्ट्रीय महाकाल एसोसिएशन सेना के महासचिव भी हैं. उन्होंने नागा साधुओं की परंपरा, दीक्षा प्रक्रिया और उनके अद्वितीय जीवन का दर्शन दिया है.

Naga Sadhi Digambar Maniraj Puri

कुमार अभिषेक

• 03:37 PM • 23 Jan 2025

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Mahakumbh News: प्रयागराज स्थित महाकुंभ से कई कहानियां सामने आ रही हैं. इस महाकुंभ की वजह से कई लोग चर्चा में आए हैं. आईआईटी बाबा अभय सिंह हों या माला बेचने वाली मोनालिसा सबके वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हैं. इस बीच कुछ ऐसे भी लोग सामने आए हैं जिन्होंने महाकुंभ की विस्तृत रूप से जानकारी दी है. ऐसे ही एक हैं दिगंबर मणिराज पूरी, जिनके साथ यूपी Tak ने खास पॉडकास्ट किया है. उत्तराखंड से आने वाले मणिराज पुरी न केवल एक दिगंबर नागा साधु हैं, बल्कि राष्ट्रीय महाकाल एसोसिएशन सेना के महासचिव भी हैं. इस खास पॉडकास्ट में मणिराज पुरी ने नागा बनने की प्रक्रिया, नागाओं की जिम्मेदारियां और उनके सनातन धर्म के प्रति योगदान पर विस्तार से चर्चा की है, जिसे आप खबर में आगे विस्तार से जानें. 

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कौन होते हैं नागा साधु?

 

दिगंबर मणिराज पूरी ने बताया कि नागा साधु मुख्य रूप से सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित होते हैं. मणिराज पुरी के अनुसार, "नागा साधुओं को विशेष रूप से युद्ध और धर्म की रक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. जब-जब धर्म पर संकट आया, नागा साधुओं ने आगे बढ़कर इसे बचाने का काम किया. नागा साधु बनने के लिए कठोर तपस्या, अखाड़ों की परंपराओं का पालन और वैदिक ज्ञान अर्जित करना अनिवार्य है." उन्होंने कहा, "हमारी परंपरा में तीन प्रकार की कैबिनेट होती है- आचार्य गुरु, महामल्लेश्वर, और नागा साधु. नागा साधु को विशेष रूप से धर्म के लिए मरने और मिटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है."

 

 

क्या होती है नागा बनने की प्रक्रिया?

दिगंबर मणिराज पूरी ने बताया कि नागा साधु बनने के लिए कठोर तपस्या और अनुशासन आवश्यक है. नागा बनने की प्रक्रिया कठिन और लंबी होती है. मणिराज पुरी के अनुसार, यह प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है:

आचार्य गुरु का मार्गदर्शन: साधु बनने की शुरुआत किसी आचार्य गुरु के सानिध्य में होती है. गुरु ही साधु के जीवन को दिशा देते हैं और उन्हें सन्यास दीक्षा के लिए तैयार करते हैं.

महामंडलेश्वर का योगदान: साधु को ज्ञान और प्रशिक्षण देने में महामंडलेश्वर की भूमिका अहम होती है. इसमें शारीरिक और आध्यात्मिक शिक्षा शामिल होती है, जैसे कि कुश्ती, शस्त्र प्रशिक्षण, और वेद-पुराण का अध्ययन.

दीक्षा और संन्यास: अंतिम चरण में साधु को अखाड़े की परंपराओं के तहत दीक्षा दी जाती है. इसके बाद वह अपने सांसारिक जीवन से मुक्त होकर पूरी तरह सनातन धर्म की सेवा में लग जाते हैं.

क्या है नागा साधुओं का उद्देश्य?

बकौल दिगंबर मणिराज पूरी, नागा साधुओं का प्रमुख उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और सनातन संस्कृति को जीवित रखना है. मणिराज पुरी ने महादेव और आदि शंकराचार्य के योगदान का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे नागाओं ने मुगल काल और अन्य संकटों के समय धर्म को बचाने में अहम भूमिका निभाई. नागा साधु अपनी तपस्या, शक्ति और अनुशासन के माध्यम से सनातन धर्म को मजबूत बनाते हैं.

क्या है नग्न रहने का कारण?

 

उन्होंने बताया, "नागा साधु नग्न रहते हैं क्योंकि यह उनके जीवन का प्रतीक है. वे खुद को नवजात शिशु की तरह मानते हैं, जो किसी भी प्रकार के सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है. हम पूरे संसार को अपना मानते हैं और किसी के प्रति द्वेष या भेदभाव नहीं रखते. यही वासुदेव कुटुंबकम का सिद्धांत है."

 

 

नागा साधुओं की पूजा-पद्धति के बारे में जानिए

नागा साधुओं की पूजा-पद्धति विशिष्ट होती है. वे अपने गुरु और शस्त्रों की पूजा करते हैं. उन्होंने कहा, "हम वैष्णव परंपरा के अनुयायी हैं और गुरु कपिल मुनि को अपना इष्ट मानते हैं. हमारे यहां भगवान की नहीं, बल्कि गुरु और शस्त्रों की पूजा होती है."

क्या है महाकुंभ में नागा साधुओं की भूमिका?

महाकुंभ नागा साधुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. गंगा स्नान और यज्ञ के माध्यम से वे पूरी मानव जाति की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं. मणिराज पुरी ने अमृत स्नान की महत्ता बताते हुए कहा कि 'महाकुंभ केवल स्नान नहीं, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर के करीब ले जाने का अवसर है.'

नागा साधुओं के बारे में क्या हैं आम धारणाएं?

नागा साधुओं को लेकर समाज में कई भ्रांतियां हैं, लेकिन मणिराज पुरी ने स्पष्ट किया कि नागा साधु न केवल अनुशासन और ज्ञान का प्रतीक हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं. वे शिक्षित और संस्कारी परिवारों से आते हैं और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा अटूट होती है.

बता दें कि महाकुंभ में नागा साधुओं का योगदान केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भी है. मणिराज पुरी जैसे साधु की मानें तो उनकी तपस्या और समर्पण की वजह से सनातन धर्म की जड़ों मजबूत हैं. इतना कहा जा सकता है कि साधुओं की साधना और त्याग समाज को धर्म और परंपरा की गहरी सीख देते हैं. 


 

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