UP News: दिल्ली की रहने वाली ममता वशिष्ठ की शादी 2 महीने पहली ही हुई थी. मगर शादी के 2 महीने के अंदर अब वह प्रयागराज महाकुंभ में महामंडलेश्वर बन गई हैं और उन्होंने अपना पिंडदान भी कर दिया है. हैरानी की बात ये है कि ममता के इस फैसले में उनके पति ने भी उनका पूरा साथ दिया है और उनके फैसले का उनके मायके और ससुराल वालों ने पूरा साथ दिया है. जानिए ममता वशिष्ठ की कहानी.
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ममता बनी महामंडलेश्वर
संगम की रेती पर लगे महाकुंभ 2025 में अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसी तरह किन्नर अखाड़े में भी पूरे रीति रिवाज के साथ कई लोगों को महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा है. इसी कड़ी में ममता वशिष्ठ को भी महामंडलेश्वर बनाया गया है. वह किन्नर अखाड़े से जुड़ गई हैं.
महामंडलेश्वर ममता वशिष्ठ की शादी 2 महीने पहले ही हुई थी, लेकिन 2 महीने बाद ही सनातन धर्म के प्रति उनकी जिज्ञासा इतनी बढ़ गई कि उन्होंने संन्यास का फैसला कर लिया और महाकुंभ में आकर सब कुछ त्याग दिया.
अपना पिंडदान भी किया
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ.लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बाकायदा ममता वशिष्ठ का पिंडदान और पट्टाभिषेक कराया. इस दौरान किन्नर अखाड़े की कई महामंडलेश्वर और किन्नर अखाड़े से जुड़े कई लोग मौजूद रहे. अब से ममता वशिष्ठ के नाम के आगे महामंडलेश्वर लगेगा.
ममता के पति संदीप ने भी अपनी पत्नी के फैसले का पूरा सम्मान किया है. यहां तक की उनके माता-पिता और सास-ससुर भी ममता के फैसले में उनके साथ हैं.
बचपन से सनातन धर्म में थी आस्था
महामंडलेश्वर ममता वशिष्ठ के मुताबिक, बचपन से ही उनको सनातन धर्म और हिंदू धर्म में काफी आस्था थी. वह कहती हैं, मैं हर दिन पूजा पाठ और वेद मंत्रों का उच्चारण किया करती थी. बचपन से ही गीता का पाठ करती थी.
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