देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. साइबर अपराधियों ने योजना से जुड़े अधिकारियों की फर्जी आईडी बनाकर सैकड़ों फर्जी आयुष्मान कार्ड जारी किए. यह घोटाला मुख्य रूप से बरेली, शाहजहांपुर और जालंधर से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है.
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कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
जानकारी के अनुसार, आयुष्मान कार्ड बनाने का काम करने वाली संस्था SACHIS (State Agency for Comprehensive Health and Integrated Services) के अधिकारियों की लॉगिन आईडी को निशाना बनाया गया. दीपावली की छुट्टियों के दौरान साइबर अपराधियों ने इन अधिकारियों की फर्जी लॉगिन आईडी बनाकर सिस्टम में प्रवेश कर लिया.
सिस्टम में इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबर सीधे अधिकारियों के आधार कार्ड से जुड़े थे. जालसाजे इन मोबाइल नंबरों को बदलकर OTP अपने पास भेजने में सफल हो गए. इसके परिणामस्वरूप, अधिकारी के पास कोई संदेश नहीं पहुंचा और वे आसानी से फर्जी आयुष्मान कार्ड बना सके.
कितने कार्ड बने और रद्द किए गए
शुरुआती जांच में पता चला है कि अब तक 300 से अधिक फर्जी कार्ड बनाए और सक्रिय किए जा चुके हैं. इनमें से कई कार्ड बरेली, शाहजहांपुर और जालंधर के निवासियों के नाम पर बनाए गए थे. जैसे ही यह अनियमितता पकड़ी गई, सभी फर्जी कार्ड तुरंत रद्द कर दिए गए.
अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
इस मामले में सिर्फ साइबर अपराधियों पर ही नहीं बल्कि SACHIS के कुछ अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है. माना जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर सिस्टम को हैक करना बिना किसी मदद के मुश्किल था. इसलिए अब अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी.
साथ ही, पिछले 6 महीनों में जारी हुए सभी आयुष्मान कार्डों की भी जांच का आदेश दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और भी बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा तो नहीं हुआ.
FIR दर्ज और जांच शुरू
पूरा मामला सामने आने के बाद, लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. सचिन वैश्य ने FIR दर्ज कराई है. पुलिस साइबर सेल के साथ मिलकर आरोपियों की तलाश कर रही है और पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है.
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