उत्तर प्रदेश में किसानों और उनके परिवारों में 'बीघा' शब्द का खास महत्व है. बीघा जमीन मापने की एक पारंपरिक इकाई है, जिसका इस्तेमाल विशेष रूप से हिंदी भाषी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में होता है. भले ही भूमि मापन की कई इकाइयाँ जैसे एकड़, हेक्टेयर, गज, वर्ग मीटर आदि प्रचलित हैं, परंतु बीघा का उपयोग क्षेत्रीय कृषि और भूमि लेनदेन में विशेष स्थान रखता है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीघा को मान्यता प्राप्त नहीं है.
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बीघा को लेकर अक्सर सवाल उठता है कि क्या यह हर जगह समान होता है? इसका जवाब है नहीं। बीघे की परिभाषा और उसका क्षेत्रीय आकार विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग होते हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में एक एकड़ में लगभग 1.6 बीघा होता है, जबकि पश्चिम बंगाल में एक एकड़ लगभग 3 बीघे के बराबर होता है। इसी तरह, पंजाब और हरियाणा में यह अनुपात लगभग 4 बीघे प्रति एकड़ होता है.
यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि बीघा एक पारंपरिक माप इकाई है, जो समय और स्थान के साथ कृषि पद्धतियों, उगाई जाने वाली फसलों और प्रशासनिक प्रभावों के अनुसार विकसित हुई है. एकड़ की बात करें तो, इसका उद्गम मध्ययुगीन इंग्लैंड से है, जहां इसे बैलों की एक जोड़ी द्वारा एक दिन में जोते जा सकने वाले क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत में एकड़ का प्रयोग भूमि मापन के लिए किया जाने लगा. अब यह भारत के कुछ हिस्सों में भूमि लेनदेन और कृषि योजनाओं के लिए मानक इकाई बन चुका है.
आजकल, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए बीघा को एकड़ में और एकड़ को बीघा में आसानी से कन्वर्ट किया जा सकता है. कई वेबसाइट्स जैसे हाउसिंग डॉट कॉम इस प्रकार के कन्वर्टर उपलब्ध कराती हैं, जहां विभिन्न राज्यों के माप के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है.
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