प्रयागराज में वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और 2 विधवाओं के घर गिराए गए थे, SC बोला- बनवाने का देंगे आदेश, पूरा केस जानिए

UP News: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में नोटिस के 24 घंटे के भीतर मकान ढहाने पर यूपी सरकार की कड़ी आलोचना की. कोर्ट ने कहा कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है. जानिए पूरी खबर.

सांकेतिक तस्वीर

यूपी तक

25 Mar 2025 (अपडेटेड: 25 Mar 2025, 01:08 PM)

follow google news

UP News: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में ‘मनमाने’ तरीके से मकान ढहाने के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है. न्यायामूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीड़ितों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी नाराजगी जताई है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर यह सुनवाई की है. 

यह भी पढ़ें...

पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने कहा, "यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को मनमाने तरीके से ध्वस्त किया गया. जिस तरह से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, वह चौंकाने वाला है. अदालतें ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं. अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं तो यह जारी रहेगा." शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ताओं को ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगी, बशर्ते वे निर्धारित समय के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करें.

अदालत ने कहा कि अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है तो याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घरों को ध्वस्त करना होगा. याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दायर करने के लिए मामले को स्थगित कर दिया गया. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए नोटिस देने में पर्याप्त ‘उचित प्रक्रिया’ का पालन करने का आश्वासन दिया. उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जे को नियंत्रित करना मुश्किल है. 

अतीक अहमद का क्यों आया जिक्र?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि यह कार्रवाई ‘चौंकाने वाली और गलत संकेत’ देती है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, गलत तरीके से घरों को ध्वस्त किया. अतीक अहमद 2023 में मारा गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने किन लोगों की याचिका पर की सुनवाई

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए थे. 'लाइव लॉ' के अनुसार अन्य लोगों में दो विधवा महिला भी शामिल हैं. गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने घरों को गिराये जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. 

    follow whatsapp