DM Aryaka Akhauri found Illegal PCO in Ghazipur jail: गाजीपुर जिला जेल में एक बड़े खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है. यहां जेल के अंदर से अवैध तरीके से पीसीओ संचालित किया जा रहा था, जिसका इस्तेमाल कैदी बाहरी दुनिया से संपर्क साधने के लिए कर रहे थे. इस मामले में गाजीपुर की डीएम आर्यका अखौरी और एसपी ने संयुक्त रूप से जांच की, जिसमें जेल के अंदर से अवैध कॉलिंग की पुष्टि हुई. जांच के बाद जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवंती देवी को निलंबित कर दिया गया, जबकि जेल रीडर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. वहीं, जेल अधीक्षक के खिलाफ भी शासन से कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है.
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गाजीपुर जेल के इस प्रकरण ने इस जेल से जुड़ी एक पुरानी कहानी याद दिला दी है. ये कहानी बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी से जुड़ी है. इस कहानी को यूपी पुलिस में आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) रहे पूर्व IPS बृजलाल ने सुनाया था. उनके मुताबिक गाजीपुर जेल मुख्तार अंसारी के लिए घर जैसी हुआ करती थी. उनके दावे के मुताबिक मुख्तार अंसारी ने अपनी पसंदीदा मछली खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा लिया था. मार्च 2024 में बांदा जेल में मुख्तार अंसारी की मौत हो गई. अब गाजीपुर जेल फिर एक बार चर्चा में है, लेकिन वजह मुख्तार अंसारी नहीं बल्कि विनोद गुप्ता है जिसकी कहानी आपको आगे बताते हैं.
विनोद गुप्ता के खिलाफ हुई जांच में खुला मामला
इस पूरे मामले का खुलासा बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले आरोपी विनोद गुप्ता के खिलाफ हुई जांच में हुआ. विनोद गुप्ता पर आरोप है कि उसने जेल से फोन कर ठगी के शिकार हुए छात्रों को धमकाया और गवाही न देने के लिए पैसों का लालच दिया. बिहार और झारखंड के कई छात्रों ने 28 फरवरी को पुलिस से शिकायत की थी कि जेल में बंद विनोद गुप्ता उन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहा है. इस शिकायत के आधार पर रेवतीपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद प्रशासन ने जेल की कड़ी जांच की. डीएम आर्यका अखौरी ने बताया कि इस जांच में जेल के अंदर से मोबाइल और अवैध सिम कार्ड के जरिए कॉलिंग की पुष्टि हुई है.
कैदियों को जेल में मिल रहा था VVIP ट्रीटमेंट
डीएम के मुताबिक, गाजीपुर जेल में कुछ कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा था. मोटी रकम के बदले उन्हें खास सुविधाएं मिल रही थीं और वे बिना रोक-टोक फोन का इस्तेमाल कर रहे थे. जेल प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रूप से पीसीओ चलाया जा रहा था, जिससे बाहर के लोगों से संपर्क साधा जा रहा था और इसके लिए मोटी रकम वसूली जा रही थी. जांच के दौरान जेल में बंद कैदियों से पूछताछ की गई तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं.
जेल विभाग भी कर रहा था जांच
डीएम ने बताया कि इस मामले में जिला प्रशासन के अलावा जेल विभाग भी जांच कर रहा था. डीआईजी जेल राजेश कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट के आधार पर डीजी जेल ने जेलर और डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया है. वहीं, जेल अधीक्षक की भूमिका की भी जांच हो रही है. डीएम का कहना है कि जेल में अवैध गतिविधियों को रोकना उनकी प्राथमिकता है और इस तरह के मामलों में आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपी विनोद गुप्ता के खिलाफ पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं और इस नए मामले में भी कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी.
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