RSS प्रमुख मोहन भागवत के कानपुर दौरे के क्या हैं मायने? यहां जानिए इनसाइड स्टोरी
UP News: एक दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को खत्म करने की बात कही थी. मोहन भागवत…
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UP News: एक दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को खत्म करने की बात कही थी. मोहन भागवत ने पहली बार यह भी माना कि वर्ण व्यवस्था को लेकर पूर्वजों ने गलतियां कीं. उनके इस बयान की चर्चा पूरे देश में है और अपने इसी बयान के अगले दिन कानपुर के फूल बाग में वाल्मीकि समाज के बीच मोहन भागवत ने अपना संबोधन दिया. यहां उन्होंने हिंदू धर्म की अवधारणा में दलित जाति और वाल्मीकि समाज के योगदान को याद किया. मगर वाल्मीकि समाज के बीच सार्वजनिक संबोधन का सीधा मतलब दलितों के बीच संघ की पैठ और स्वीकार्यता बढ़ाना था.
कानपुर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का द्वार कहा जाता है. यहां से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड दोनों सीधा जुड़ते हैं और यहां दलितों और पिछड़ी जातियों की एक बड़ी आबादी है, जो संघ परिवार और बीजेपी का बड़ा आधार है. संघ प्रमुख हर बार चुनाव से पहले कई दिनों के प्रवास पर कानपुर आते हैं. 2017-2019 और 2022 के चुनाव के पहले मोहन भागवत कानपुर के अपने प्रवास में संघ कार्यकर्ताओं और विचार परिवार को आगे का मंत्र देकर गए थे.
संघ परिवार को ऐसा लगता है कि अब वक्त आ गया है जब आरएसएस का दायरा दलित और अति पिछड़े वर्गों में तेजी से फैले. हालांकि वाल्मीकि समाज या खटीक जैसी दलित बिरादरी बीजेपी का आधार वोट मानी जाती हैं. लेकिन संघ के काडर में अभी भी दलित प्रतिनिधित्व कम है और आरएसएस दलितों को सीधे संघ से जोड़ने की मुहिम में दिखाई दे रहा है. यही वह वजह है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि बिरादरी के इस कार्यक्रम दलित वर्ग के लोगों को संघ की शाखाओं में आने और सीधे संघ से जुड़ने का न्योता दिया.
2024 में बीजेपी फिर सत्ता में आए RSS का ये मकसद तो है ही, लेकिन धर्मांतरण रुके, दलित समाज हिंदुत्व से जुड़े और हिंदुत्व की छतरी बड़ी हो ये बड़ा ध्येय है.
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इस कार्यक्रम में जुटे वाल्मीकि समाज के कई लोगों ने मोहन भागवत के उनके कार्यक्रम में आने को सराहा और कहा कि ‘भले ही अब तक हम लोग समाज के मुख्यधारा से कटे रहे हों, लेकिन आने वाले वक्त अच्छा दिखाई देता है.’
आपको बता दें कि मोहन भागवत का 3 दिनों का कानपुर दौरा है, जिसमें शुरुआत उन्होंने वाल्मीकि जयंती पर दलितों के कार्यक्रम से की. इसके अलावा वह छात्रों, इंजीनियरों, प्रोफेसर और प्रबुद्ध जनों के साथ एक बैठक करेंगे और वहां अपनी राय रखेंगे. साथ ही दो अन्य बैठक संघ के स्वयंसेवकों के साथ रखी गई है, जिसमें संघ के पदाधिकारी शामिल होंगे.
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