UP Nagar Nikay chunav 2023: जानिए कौन लड़ सकता है चुनाव, वोटर कौन, कैसे मिलता है आरक्षण

उदय गुप्ता

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UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को नगर निगमों के मेयर, नगर परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्षों के लिए अंतरिम आरक्षण सूची जारी की. बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव को सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा है और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य दल भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं. आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कुल कितने नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत हैं. इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है.

उत्तर प्रदेश के कुल निकायों की संख्या कितनी है?

उत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर निगम हैं. इनमें आगरा, अलीगढ़, अयोध्या, बरेली, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर, शाहजहांपुर और वाराणसी शामिल हैं. इनमें शाहजहांपुर को हाल ही में नगर निगम की श्रेणी में लाया गया है. इस बार शाहजहांपुर मे नगर निगम के लिए पहली बार वोट डाले जाएंगे. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में कुल 199 नगर पालिका परिषद और 544 नगर पंचायतें हैं. नगर निगम में मेयर यानी महापौर और पार्षदों को चुना जाता है, जबकि नगर पालिका और नगर पंचायतों में अध्यक्ष और सभासद चुने जाते हैं.

आपको बता दें कि नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए आयोग द्वारा उम्र सीमा भी निर्धारित की गई है. इसके तहत नगर निगम के महापौर और नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की उम्र 30 वर्ष से अधिक होनी चाहिए. वहीं नगर निगम के पार्षद और नगर पालिका नगर पंचायत के सदस्यों की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए. नगर निकाय का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को भारत का नागरिक होना चाहिए और पर्चा दाखिला करते समय प्रत्याशी के साथ दो प्रस्तावक और दो समर्थक होने चाहिए जो उसी के संबंधित वॉर्ड के निवासी हों. नगर निकाय चुनाव में नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में निवास करने वाले मतदाता वोट डालते हैं. खास बात यह है कि नगर निकाय चुनाव के लिए इन मतदाताओं की सूची अलग से तैयार की जाती है.

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नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत की आबादी:

उत्तर प्रदेश में नगर पालिका परिषद की आबादी 20,000 से ज्यादा होनी चाहिए. अगर यही आबादी 5 लाख से ऊपर पहुंच जाती है तो वह नगर पालिका, नगर निगम बन जाता है. इसी तरह नगर पंचायत के लिए 11000 से ऊपर की आबादी निर्धारित की गई है. नगर पालिका परिषद में भी तीन कैटेगरी होती है. 20000 से 50000 तक के बीच की आबादी वाले नगर पालिका परिषद को क्लास 3, 350000 से 100000 तक के बीच के नगरपालिका को क्लास 2 और एक लाख से 500000 तक के बीच की आबादी वाली नगरपालिका को क्लास1 की नगर पालिका कहा जाता है. अगर हम वॉर्ड की आबादी की बात करें तो सामान्यतः 1 वॉर्ड की आबादी 3000 से 5000 तक के बीच की होती है. कहीं कहीं यह आबादी 5000 से कुछ ऊपर भी हो सकती है.

ऐसे होता है सीटों का आरक्षण:

नगर निकाय चुनाव में हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिले इसके लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है. सीटों का आरक्षण चक्रानुक्रम में किया जाता है. यानी जो सीट वर्तमान समय मे आरक्षित है उसे अनारक्षित श्रेणी में किया जा सकता है. या जो सीट ओबीसी के लिए थी वह सामान्य या आरक्षित हो सकती है. कुल मिलाकर आरक्षण में चक्रानुक्रम प्रणाली का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है. ताकि उससे सीट पर हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिलता रहे.

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