सपा के साथ मिलकर RLD लड़ेगी नगर निकाय चुनाव, सीटों पर चर्चा के लिए समिति का गठन

सत्यम मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए विपक्ष…

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सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए विपक्ष भी सियासी रणनीति बनाने में जुटा है. इस बीच, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए कटिबद्ध है, जिसके चलते समस्त जनपदों से जिताऊ उम्मीदवारों के आवेदन पत्र एकत्र किए जा रहे हैं.

सीटों के संबंध में समिति का गठन

आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने यूपीतक को बताया कि निकाय चुनाव को लेकर रालोद राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह द्वारा नामित चुनाव समिति के साथ विचार विमर्श करके अन्तिम निर्णय लिया जाएगा. रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी से सीटों के संबंध में वार्ता करने के लिए पूर्व विधायक राव वारिस खान के नेतृत्व में एक समिति का गठन राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह द्वारा किया गया है, जो जल्द सीटों पर मंथन करके रिपोर्ट पेश करेगी.

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रामाशीष राय ने आगे कहा कि उनकी पार्टी रालोद गठबंधन के साथ प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेगी. राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी मिलकर बीजेपी का सफाया करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव कराने का रास्ता किया साफ

28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया था. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी थी.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने नौ मार्च को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी.

इस पांच सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने की. इस आयोग के अन्य चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया था ये फैसला

इस आयोग का गठन पिछले साल के आखिर में ऐसे समय में किया गया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था और ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का आदेश आने के बाद कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे और राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करेगी। यह मामला उच्चतम न्यायालय में था.

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