फिरोजाबाद ग्राउंड रिपोर्ट: गांवों के अस्पतालों पर लटके ताले, कैंप में बंटी एक्सपायर दवा

सुधीर शर्मा

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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में लगातार जारी बुखार के कहर के बीच लोग अब भी स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के लिए जूझ रहे हैं. बुखार के प्रकोप का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं. बात फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के 100 शैय्या अस्पताल की करें तो यहां हालत यह है कि एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज भी हो रहा है. बहुत से लोगों की शिकायत यह भी है कि उन्हें बेड नहीं मिल रहे. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बुखार से अब तक यहां 57 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 400 से ज्यादा बच्चे मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं.

इस बीच फिरोजाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) दिनेश कुमार प्रेमी का दावा है कि यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत पहले से बहुत बेहतर है. ऐसे में यूपी तक ने 10 सितंबर को फिरोजाबाद के आसपास 3 अलग-अलग गांवों (गुदाउ, कुर्रीकूपा और कपावली) में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति जानी.

पहले बात करते हैं गांव गुदाउ की. इस गांव की आबादी 20 हजार की है. यहां बुखार से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं. यहां के ग्राम प्रधान एवरन सिंह का कहना है कि स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 15 दिन से बंद है.

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हमें कुर्रीकूपा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी ताला लटका हुआ मिला. कुर्रीकूपा निवासी चंद्रप्रकाश ने बताया कि स्थानीय लोग इधर-उधर अपना इलाज करा रहे हैं.

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों को लेकर उन्होंने कहा, ”इनकी कहां ड्यूटी लगती है, कहां जाते हैं, इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. कभी-कभी आते तो हैं, लेकिन आज नहीं हैं.”

उन्होंने कहा कि कुर्रीकूपा के आसपास 5 से 7 गांव हैं, अगर स्वास्थ्य केंद्र खुला होता तो इन सभी गांव के लोगों को इससे राहत मिलती.

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जब हम तीसरे गांव कपावली में पहुंचे तो यहां बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी ताला लटका मिला. इस स्वास्थ्य केंद्र पर नगला मान गांव के लोग भी इलाज के लिए आते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर ताला पड़ा रहता है, स्वास्थकर्मी कभी खोल लेते हैं, थोड़ी देर बैठते हैं फिर चले जाते हैं. शुक्रवार को ही कपावली गांव में बुखार के चलते 14 साल के बच्चे बंटू की मौत हुई थी.

इन स्वास्थ्य केंद्रों का हाल जानकर जब हमने इनके बंद होने के बारे में CMO से पूछा तो उन्होंने कहा, ”जो आपने अभी संज्ञान में डाला है, हम उसको देख रहे हैं…ये सब सेंटर अगर बंद हैं तो हम देखेंगे कि कैसे क्या कार्रवाई करनी है.”

100 शैय्या अस्पताल में सही इलाज के लिए मशक्कत कर रहे लोग

9 सितंबर को 100 शैय्या अस्तपाल में 4 साल के रितिक की मौत हो गई. रितिक के मामा अश्वनी कुमार जब तीसरी मंजिल से अपने भांजे के शव को लेकर कंधे पर रखकर नीचे लाए, तो इस वक्त की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.

रितिक की मां सुनीता ने अपने भाई के कंधे पर जब अपने लाडले का शव देखा, तो उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया.

रितिक के परिजनों की मानें तो इस बच्चे को डेंगू हुआ था. मृतक बच्चे के एक परिजन ने बताया, ”मैंने 8 सितंबर को बच्चे को भर्ती किया था, लेकिन उसके प्लेटलेट्स गिर रहे थे. डॉक्टर से कई बार कहा. पहले वह ऑक्सीजन के लिए गए, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिली. उसके बाद दूसरे प्राइवेट वॉर्ड में ले गए, जहां ऑक्सीजन लगाई गई. बाद में उसे उल्टी हो गई, जिसमें खून आया और बच्चे की मौत हो गई.”

हमें मेडिकल कॉलेज के बाहर एक शख्स रोते-चिल्लाते हुए यह कहता दिखा है कि यहां कोई सुविधा नहीं है. दरअसल, लोगों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में उन्हें सही इलाज पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है, ऐसे में वे झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं, जिसकी वजह से बच्चे मर रहे हैं.

कैंप में बांट दी गई एक्सपायर दवा

फिरोजाबाद में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए जा रहे ग्रामीण क्षेत्र के दवा वितरण कैंप में भी एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है.

दरअसल शिकोहाबाद के आमरी गांव के अंबेडकर पार्क में बुधवार शाम को स्वास्थ्य विभाग का मेडिकल कैंप लगा था, उसमें बुखार की जो दवा बांटी गई वो एक्सपायर थी. इस दवा को जब एक महिला ने खाया तो यह रिएक्शन कर गई, जिससे महिला को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

इतनी बड़ी लापरवाही जब एसडीएम के संज्ञान में आई तो उन्होंने कहा, ”मेरी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात हुई है, जितनी भी दवा बांटी गई है वो वापस ली गई है. यह गलती से हुआ है. जिस कर्मचारी ने यह गलती की है उसके सस्पेंशन की की रिपोर्ट सीएमओ ऑफिस में पेश की जाएगी, जिससे फिर से ऐसी कोई लापरवाही ना हो.”

फिरोजाबाद में बुखार के कहर के बीच केंद्र की एक टीम ने हाल ही में पाया कि यहां ज्यादातर केस की वजह डेंगू है, जबकि कुछ मामलों का कारण स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पाइरोसिस है.

पिछले दिनों यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी फिरोजाबाद का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने 30 अगस्त को फिरोजाबाद पहुंचकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय का निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने मरीजों से मिलकर उनका हाल-चाल जाना था और अधिकारियों को बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग लगातार सुविधाओं में सुधार के दावे कर रहा है, लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही दिख रही है.

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