बलिया: ठेले पर अस्पताल ले गया पर पत्नी नहीं बची, इस कहानी पर सरकार को शर्मिंदा होना चाहिए

अनिल अकेला

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चाहे जितने बड़े दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही तस्वीर बयान कर रही है. ताजा मामला बलिया जिले से सामने आया है, जहां कोई साधन न मिलने पर एक बुजुर्ग शख्स की अपनी बीमार पत्नी को धूप में ठेले पर लिटाकर ही अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर हुआ. सोशल मीडिया पर इस घटना की तस्वीर खूब वायरल हो रही है. वहीं, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

क्या है मामला?

दरअसल, यह मामला बलिया के चिलिकहर ब्लॉक के अन्दौर गांव का है, जहां 60 वर्षीय सुकुल प्रजापति अपनी पत्नी जोगिनी के साथ रहते हैं. मिली जानकारी के अनुसार, पत्नी की तबियत बिगड़ने पर सुकुल को जब कोई साधन नहीं मिला तो वह ठेले पर ही लिटाकर उन्हें पीएचसी ले गए. आरोप है कि इसके बाद डॉक्टरों ने एक इन्जेक्शन देकर, बिना रेफर कागज बनाए और बिना एम्बुलेंस की व्यवस्था किए ही उन्हें मरीज को जिला अस्पताल जाने को कहा.

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इसके बाद सुकुल प्रजापति रुपये नहीं होने के कारण अपनी पत्नी को ठेले पर ही लिटाकर घर ले आए. बाद में रुपयों का इंतजाम करने बाद वह पत्नी को ऑटो रिक्शा से जिला अस्पताल ले गए. आरोप है कि जिला अस्पताल में जांच के नाम पर प्रजापति से 350 रुपये लिए गए, लेकिन इलाज के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गई. कारगुजारी की हद तो तब हुई जब, अस्पताल प्रशासन ने मौत के बाद शव ले जाने के लिए भी वाहन तक मुहैया नहीं कराया.

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पीड़ित ने क्या बताया?

पीड़ित ने बताया, “मैंने शव को घर लाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की, पर वहां के डॉक्टरों ने रात का हवाला होते देते हुए प्राईवेट एम्बुलेंस से शव ले जाने को कहा. प्राईवेट एम्बुलेंस के नाम पर 1100 रुपये वसूले गए.”

पीड़ित का कहना है कि उन्होंने आयुष्मान कार्ड के लिए कुछ महीने पहले आवेदन किया था, लेकिन अब तक उन्हें वो भी प्राप्त नहीं हुआ है.

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