कमलनाथ बोले- सपा को वोट देना बेकार हो जाएगा, 2018 के आंकड़ों में देखिए तब SP ने क्या किया था

यूपी तक

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इसी बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ ने भी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है.

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मध्यप्रदेश में कांग्रेस-सपा का होता गठबंधन तो बदल जाती तस्वीर? जानें आंकड़ों की जुबानी पूरी कहानी
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समाजवादी पार्टी (सपा-SP) के चीफ अखिलेश यादव मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आक्रामक प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस के साथ एमपी में गठबंधन नहीं होने के बाद अखिलेश इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के इस सहयोगी दल पर ही हमलावर हैं. पहले तो अखिलेश कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप पर सवाल उठा रहे थे, अब उन्होंने राहुल गांधी को भी निशाने पर ले लिया है.

अखिलेश यादव ने एमपी की कटनी विधानसभा में प्रचार के दौरान राहुल गांधी की जातिगत जनगणना की मांग पर तंज कसा. उधर, एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बने कमलनाथ ने न्यूज 18 से बातचीत में कह दिया है कि एमपी में सपा को वोट देने का मतलब अपना वोट बेकार करना है.

कमलनाथ का तर्क है कि मध्य प्रदेश में चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही है. क्या कमलनाथ जो कह रहे हैं वो वाकई सच है या आंकड़े कुछ और कहते हैं? इस बात को हम समझेंगे, लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि आखिर ये जो शब्दों के वार चल रहे हैं, उसमें अखिलेश ने राहुल पर क्या बोला है.

राहुल ने जाति जनगणना को बताया था एक्सरे, अखिलेश मजे ले गए

अखिलेश यादव सोमवार को कटनी के बहोरीबंद में एक रैली को संबोधित किया. यहां उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी की जाति जनगणना की मांग एक ‘‘चमत्कार’’ है. अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की उस टिप्पणी पर कटाक्ष किया जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति जनगणना एक ‘‘एक्स-रे’’ की तरह होगी जो देश में विभिन्न समुदायों का विवरण देगी. अखिलेश ने व्यंग्यात्मक ढंग से पूछा, ‘‘जब एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) और सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) स्कैन जैसी नयी तकनीक उपलब्ध है तो एक्स-रे क्यों?’’

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2018 में चुनाव लड़ी थी सपा तो क्या हुआ था?

अब आइए समझते हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में सपा अकेले लड़ रही है, तो इसमें किसका नुकसान है. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के प्रोफेसर संजय कुमार ने इस अपने एक ट्वीट में समझाया है.

संजय कुमार ने बताया है कि 2018 में मध्य प्रदेश की 11 सीटे ऐसी थीं, जहां सपा को जीत के मार्जिन से ज्यादा वोट मिले. रोचक बात यह है कि इसमें 8 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत मिली. कांग्रेस के खाते में 2 सीट और एक सीट बहुजन समाज पार्टी (बीजेपी) को गई.

पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो 2018 में सपा यहां 52 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. एक सीट पर जीत मिली, जबकि 45 सीटों पर पार्टी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई. वैसे कमलनाथ जो चिंता जाहिर कर रहे हैं, उसे क्लोज फाइट वाली सीटों के संदर्भ में समझा जा सकता है. कांग्रेस को कहीं न कहीं ये चिंता सता रही है कि अगर 2018 जैसी स्थिति रही, तो सपा कैंडिडेट कहीं उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं को कमजोर न कर दें.

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