मुलायम ने कराई राजनीति में एंट्री, फिर बने अखिलेश के करीबी, कौन हैं मुख्य सचेतक कमाल अख्तर?

आयुष अग्रवाल

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Kamal Akhtar
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UP Politics: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने, जहां माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया तो वहीं कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक बनाने का ऐलान किया. तभी से चर्चा होने लगी कि आखिर ये कमाल अख्तर कौन हैं? जिनपर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इतना भरोसा दिखाया है. बता दें कि कमाल अख्तर की गिनती सपा के कद्दावर नेताओं में की जाती है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में खासकर मुरादाबाद मंडल की सियासत में कमाल अख्तर सपा के बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. 

कमाल अख्तर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भी काफी करीबी रहे हैं. माना जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने उनकी एंट्री राजनीति में करवाई और हमेशा उन्हें सियासत में आगे बढ़ाया. अब कमाल अख्तर की गिनती अखिलेश यादव के करीबियों में भी की जाती है.

कौन हैं कमाल अख्तर और क्या है उनका सियासी सफर?

कमाल अख्तर फिलहाल मुरादाबाद लोकसभा की कांठ विधानसभा सीट से सपा के विधायक हैं. कमाल अख्तर का जन्म 24 अक्टूबर 1971 में अमरोहा जिले के उझारी में हुआ था. कमाल अख्तर के पिता और मां दोनों ही राजनीति में थे. कमाल के पिता जहां 2 बार उझारी नगर पंचायत के चेयरमैन रहे तो उनकी मां 3 बार इस पद पर बैठीं.  फिर कमाल अख्तर की पत्नी हुमैरा अख्तर भी उझारी नगर पंचायत की चेयरमैन बनीं.

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कमाल अख्तर ने जामिया मिलिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र से बी.ए ऑनर्स की डिग्री ली है. इसके बाद उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से  एलएलबी भी की है. कहा जाता है कि यहीं से मुलायम सिंह यादव की नजर कमाल अख्तर पर पड़ गई थी और उन्होंने कमाल अख्तर को राजनीति में लाने का मन बना लिया था. इसलिए ही कमाल अख्तर को खुद मुलायम सिंह यादव राजनीति में लेकर आए थे. मुलायम सिंह यादव ने ही कमाल को पार्टी में शामिल करवाया और उन्हें सीधे समाजवादी पार्टी युवजन सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था.

मुलायम ने ही भेजा था राज्यसभा

बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने साल 2004 में कमाल अख्तर को सीधे राज्यसभा भेज दिया और उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया. इस दौरान कमाल अख्तर का सब्र भी उनके काफी काम आया. कहा जाता है कि कमाल साल 2002 विधानसभा चुनाव में अमरोहा की हसनपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. दरअसल उझारी और हसनपुर काफी करीब हैं और कमाल बचपन से ही हसनपुर आते-जाते रहते थे. उझारी विधानसभा नहीं थी, ऐसे में कमाल अपनी सियासी जमीन की तलाश हसनपुर में ही कर रहे थे और वहां लगातार अपनी सियासी ताकत बढ़ा रहे थे. मगर सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. कमाल अख्तर ने सब्र रखा और पार्टी के वफादार रहे.

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इसका परिणाम कमाल अख्तर को साल 2004 में मिला. खुद मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सीधा राज्यसभा में भेजकर राज्यसभा सांसद बना दिया. यहां से फिर कमाल अख्तर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर विधानसभा से चुनावी मैदान में उतार दिया. पार्टी के भरोसे को कमाल अख्तर खड़े उतरे और उन्हें चुनावी मैदान जीत लिया. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कमाल अख्तर को अपनी सरकार में फौरन पंचायती राज मंत्री बना दिया.

अखिलेश यादव ने दी अपनी कैबिनेट में जगह

इसके बाद कमाल अख्तर की पकड़ पार्टी में लगातार मजबूत होती चली गई. साल 2014 में सपा ने अमरोहा लोकसभा सीट से कमाल अख्तर की पत्नी हुमैरा अख्तर को टिकट दिया. मगर हुमैरा अख्तर को मोदी लहर में भाजपा के चौधरी कंवर सिंह तंवर के सामने हार का सामना करना पड़ा. मगर वह फिर भी दूसरे नंबर पर रहीं. लोकसभा चुनाव में पत्नी के हारने के बाद भी कमाल अख्तर की पकड़ पार्टी में कमजोर नहीं हुई. वह लगातार अखिलेश यादव के करीब जाते रहे. इसी बीच साल 2015 में अखिलेश यादव ने उन्हें खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया. 

2017 में करना पड़ा हार का सामना

बता दें कि साल 2017 विधानसभा चुनाव में भी कमाल अख्तर को सपा ने हसनपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया. मगर इस बार उन्हें भाजपा उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद भी पार्टी का भरोसा कमाल अख्तर पर कम नहीं हुआ. वह संगठन में लगातार काम करते रहे और पार्टी उन्हें नई-नई जिम्मेदारी देती गई. 

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साल 2022 विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कमाल अख्तर को मुरादाबाद की कांठ विधानसभा से मैदान में उतारा. यहां एक बार फिर कमाल अख्तर ने चुनावी मैदान में जबरदस्त वापसी की और चुनावी मैदान में भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया. अब एक बार फिर अखिलेश यादव ने कमाल अख्तर पर अपना भरोसा जताया है और उन्हें विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया है.

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