पाला बदलने की अटकलों के बीच जयंत बोले- चावल खाने ही हैं तो खीर खाओ, टिकैट ने गिनाए मीठे के नुकसान

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माना जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. दरअसल उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं. इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी की नजरे हैं. अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव भी करीब ही हैं. सपा समेत विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि किसी भी हाल में भाजपा को हराना है. इसके लिए विपक्षी दल महागठबंधन भी बना रहे हैं. इसी बीच राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी को लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है. 

रालोद चीफ जयंत के बारे में राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि जयंत भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला सकते हैं. इसी बीच आज रालोद चीफ ने कुछ ट्वीट किए हैं, जिसके कई सियासी मायने लगाए जा रहे हैं. 

जयंत ने क्या ट्वीट किया?

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने ट्वीट किया, “वैसे चावल खाने ही हैं तो खीर खाओ. खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी जो पसंद है खाओ.”

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रालोद चीफ के इस ट्वीट के सियासी मायने लगाए जा रहे हैं. अब यूपीतक के साथ खास बातचीत में राकेश टिकैट ने भी जयंत के इन ट्वीट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. राकेश टिकैत ने जयंत चौधरी को लेकर कहा, “पुरानी कहावत है कि खीर में कुछ लगता नहीं, बनी बनाई मिलती है. जयंत काफी लिबरल रहते हैं. किसको गठबंधन में कहा जाना है, किसको किसके साथ रहना है, ये तो विपक्ष वाले तय करेंगे.”

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जयंत के ट्वीट को लेकर राकेश टिकैट ने आगे कहा, “मीठा सेहत के लिए हानिकारक होता है. लेकिन खाने में स्वाद लगता है. करेला वैसे सेहत के लिए ठीक रहता है, लेकिन खाने में कड़वा लगता है.”

‘भाजपा वाले विपक्षी दलों में अपने लोग घुसा देते हैं’

इस दौरान राकेश टिकैट ने भाजपा को लेकर कहा कि, भारतीय जनता पार्टी का काम रहेगा कि वह विपक्षी दलों को जमा ना होने दे. भाजपा वाले अपने लोगों को वहां घुसा देते हैं.

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जयंत को लेकर क्यों हैं चर्चाएं गरम

दरअसल जयंत को लेकर भाजपा के कुछ नेताओं और ओपी राजभर ने बयान दिया था कि जयंत चौधरी भी अपना पाला बदल सकते हैं. इसके बाद से ही इसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी.

इन चर्चाओं को तब और मजबूती मिली थी जब जयंत ने इशारों ही इशारों में यूसीसी को महिलाओं के सम्मान के मुद्दे से जोड़ दिया था. जयंत ने कहा था, यूसीसी का अभी कोई स्वरूप नहीं है. इसके स्वरूप के बारे में अभी कोई नहीं जानता. इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं की जा सकती. आधुनिक भारत में, लोकतंत्र में महिला, पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलने चाहिए. अगर महिलाओं का किसी भी मान्यता के तहत अपमान होता है तो यह सही नहीं हैं.

अब देखना यह होगा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की राजनीतिक किस तरफ करवट लेती है. क्या महागठबंधन की रणनीति यूपी में काम करेगी या फिर मोदी-योगी के आगे विपक्ष की सारी रणनीति फैल हो जाएगी? ये आने वाला वक्त ही बताएंगा.

(कुमार कुनाल के इनपुट के साथ)

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