केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने यह जानकारी दी है. प्रह्लाद पटेल ने X पर कहा कि महिला आरक्षण की मांग पूरा करने का नैतिक साहस मोदी सरकार में ही था. जो कैबिनेट की मंजूरी से साबित हो गया.
हालांकि, बाद में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने अपना ये ट्वीट डिलीट कर दिया है.
Union MoS Prahlad Patel deletes his post on 'Women's Reservation Bill'. pic.twitter.com/N8PeEvg5kV
— Press Trust of India (@PTI_News) September 18, 2023
बता दें कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से भी कम है, जबकि कई राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है.
इस मुद्दे से जुड़ा अंतिम ठोस घटनाक्रम 2010 में हुआ था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच विधेयक को पारित कर दिया था. मार्शल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के कदम का विरोध करने वाले कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था. हालांकि, विधेयक लोकसभा से पारित नहीं हो सका और अटक गया.
भाजपा और कांग्रेस ने हमेशा विधेयक का समर्थन किया है लेकिन अन्य दलों के विरोध और महिला कोटा के भीतर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की कुछ मांगें ऐसी रहीं, जिसके चलते विधेयक पर सहमति नहीं बन सकी.
मौजूदा लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है. सरकार द्वारा पिछले दिसंबर में संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 प्रतिशत है.
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है.
दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं.
वहीं, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड क्रमश: 14.44 प्रतिशत, 13.7 प्रतिशत और 12.35 प्रतिशत के साथ महिला विधायक संबंधी सूची में सबसे आगे हैं.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)