ज्ञानवापी: ‘शिवलिंग’ को फव्वारा बताने वाले महंत ने छोड़ी गद्दी, बोले- कुचक्र में फंस गया
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में हुए एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे की कार्रवाई के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को ‘फव्वारा’ बताने वाले काशी करवत…
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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में हुए एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे की कार्रवाई के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को ‘फव्वारा’ बताने वाले काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने अपनी गद्दी छोड़ दी है. उन्होंने महंत पद की जिम्मेदारी अपने छोटे भाई को सौंप दी है और बताया कि वह कुचक्र का शिकार हो गए, जिसके प्रायश्चित के लिए उन्होंने महंत पद का त्याग किया है.
काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक ही स्थित काशी करवत मंदिर के महंत पंडित गणेश शंकर उपाध्याय के द्वारा बीते दिनों एक इंटरव्यू के दौरान कथित शिवलिंग को ‘फव्वारा’ बताया गया था. रविवार को उन्होंने अपने महंत पद से इस्तीफा देते हुए यह जिम्मेदारी अपने छोटे भाई डॉ. दिनेश अम्बाशंकर उपाध्याय को सौंप दी है.
मीडिया से मुखातिब होते हुए गणेश शंकर उपाध्याय ने बताया कि वह कुचक्र का शिकार हो चुके हैं, जिसके प्रायश्चित के लिए उन्होंने अपना महंत पद छोड़ने का फैसला किया है.
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके साक्षात्कार को झूठे शीर्षकों के साथ प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है कि मैंने ऐसा दावा किया है कि सर्वे के दौरान पाई गई आकृति शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा ही है. यह सरासर गलत और झूठ था.
उन्होंने कहा,
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“मैंने ऐसा कोई भी दावा नहीं किया है. इसी घटना से विचलित होकर मैंने अपने स्वविवेक से इस पद को अपने अनुज को समर्पित कर दिया है.”
गणेश शंकर उपाध्याय
उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि महंत पद जीते-जी किसी दूसरे महंत को दिया जा रहा है, क्योंकि उनकी मृत्यु के बाद ही महन्त पद स्थानांतरित होता है.
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उन्होंने बताया, “यह मेरी अज्ञानता थी कि मैं कुचक्र में फंस गया और मैं जान नहीं सका. जो कुछ हुआ उसका दोषी मैं खुद हूं और मुझे कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं करनी है. मेरे न्याय के देवता खुद इसका निर्णय करेंगे.” उन्होंने बताया कि उनको क्षोभ पर प्रायश्चित के लिए तपस्या करनी होगी.
काशी करवत मंदिर के महंत का दावा- उनकी जानकारी में ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं, फव्वारा है
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