काशी करवत मंदिर के महंत का दावा- उनकी जानकारी में ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं, फव्वारा है
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिली एक आकृति को लेकर बहस छिड़ गई है. एक तरफ हिंदू पक्ष का दावा है कि…
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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिली एक आकृति को लेकर बहस छिड़ गई है. एक तरफ हिंदू पक्ष का दावा है कि ये शिवलिंग है. वहीं हिंदू पक्ष के दावे को नकारते हुए मुसलिम पक्ष इस आकृति को फव्वारा बता रहा है.
इस बीच, यूपी तक से खास बातचीत के दौरान काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने एक चौंकाने वाला दावा किया है. आपको बता दें कि काशी करवत मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद से चंद कदम की दूरी पर है.
महंत ने बताया, “आकृति देखने में शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही है. हम लोगों की जानकारी के अनुसार, वो फव्वारा था. हम लोगों ने उसे बचपन से देखा है. पिछले 50 सालों से देख रहे हैं उसे. हम लोग सैकड़ों बार मस्जिद में गए हैं, वहां घंटों-घंटों समय बिताया है.”
उन्होंने कहा,
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“वो आकृति पहले भी दिखाई देती थी. इसकी उत्सुकता होती थी तो हम लोगों ने इसके बारे में पूछा कि ये स्ट्रक्चर क्या है, तो कहा गया कि ये फव्वारा है. हालांकि, कभी चलते हैं उसे हम लोगों ने नहीं देखा. इसके बारे में पूछा कि ये फव्वारा कब चलता है, तो बताया गया कि मुगल काल का है. लेकिन उसे कभी चलते नहीं देखा.”
गणेश शंकर उपाध्याय
उन्होंने कहा, “जो तहखाना बताया जा रहा है वो तहखाना नहीं है. वो तो ग्राउंड फ्लोर पर ही है. तहखाना उसे कहते हैं जो भूमि के नीचे हो. भूतल से जो नीचे हो उसे तहखाना कहते हैं. ये तो भूतल पर ही है. लेकिन जो तालाब का हिस्सा है, उस हिस्से में चारों तरफ से दीवार घिरी हुई है. तालाब के नीचे क्या है, वो तो कभी दिखा नहीं.”
महंत ने कहा कि उन्हें कभी जानकारी नहीं हुई कि वहां कथित शिवलिंग है. हाल ही में जो वीडियो आया है उसमें देखने में प्रतीत होता है कि वहां शिवलिंग जैसी आकृति है. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि उसको इन लोगों (मुस्लिम पक्ष) ने बिगाड़ दिया है, वजूखाने में जानबूझकर शिवलिंग को रख दिया है. लोग कहते हैं कि वहां हाथ-पैर धोते हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है. उस तालाब के पानी में तो कभी कोई हाथ-पैर नहीं धोता है. पानी वहां से जरूर लेते थे.
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उन्होंने कहा कि वह बचपन से उस गोल घेरे को देखे हैं, जिसके बीच में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देखने से लगता है कि वह तालाब है और वहां फव्वारा है. सामान्य रूप से फव्वारे तो ऐसे ही होते हैं.
महंत ने कहा, “हम लोगों की जानकारी मैं वह फव्वारा है. अभी वहां शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है.” हालांकि, महंत का कहना है उन्होंने अपने जीवन में कभी भी उसे चलते हुए नहीं देखा है.
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