ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा, AIMPLB ने कहा- ‘नाइंसाफी मुस्लिम बर्दाश्त नहीं करेगा’
भारत में मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के…
ADVERTISEMENT
भारत में मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के बाद अदालत के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया दी. बता दें कि एआईएमपीएलबी ने मस्जिद का वजू खाना बंद कराए जाने को नाइंसाफी करार दिया.
बोर्ड के महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने सोमवार देर रात जारी एक बयान में कहा, “ज्ञानवापी मस्जिद, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. इसको मंदिर करार देने की कोशिश सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है. यह संवैधानिक अधिकारों और कानून के खिलाफ है.’
बोर्ड महासचिव ने कहा, “फिर 1991 में प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट संसद से पारित हुआ जिसका खुलासा यह है कि 1947 में जो इबादतगाहें जिस तरह थीं उनको उसी हालत पर कायम रखा जाएगा. साल 2019 में बाबरी मस्जिद मुकदमे के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने बहुत साफ तौर पर कहा था कि अब तमाम इबादत गाहें इस कानून के मातहत होंगी और यह कानून दस्तूर हिंद की बुनियाद के मुताबिक है.’
उन्होंने वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा,
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
‘कानून का तकाजा यह था कि मस्जिद में मंदिर होने के दावे को अदालत फौरन खारिज कर देती लेकिन अफसोस कि बनारस की सिविल अदालत ने इस स्थान के सर्वे और वीडियोग्राफी का हुक्म जारी कर दिया. वक्फ बोर्ड इस सिलसिले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुका है और वहां यह मुकदमा विचाराधीन है. इसी तरह ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी भी सिविल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुकी है. वहां भी यह मसला सुनवाई के दौर में है लेकिन इन तमाम बातों को नजरअंदाज करते हुए सिविल अदालत ने पहले तो सर्वे का हुक्म जारी कर दिया और फिर उसकी रिपोर्ट कुबूल करते हुए वजू खाने के हिस्से को बंद करने का हुक्म जारी कर दिया.’
खालिद सैफुल्लाह रहमानी
रहमानी ने मस्जिद के अंदर मंदिर होने की हिंदू पक्ष की दलीलों की तरफ इशारा करते हुए कहा, “अगर ऐसी खयाली दलीलों के आधार पर इबादतगाहों की हैसियत बदली जाएगी तो पूरा मुल्क अफरा-तफरी का शिकार हो जाएगा, क्योंकि कितने ही बड़े-बड़े मंदिर बौद्ध और जैन इबादतगाहों को तब्दील करके बनाए गए हैं और उनके प्रत्यक्ष निशान भी मौजूद हैं. मुसलमान इस जुल्म को हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हर स्तर पर इस अन्याय का मुकाबला करेगा.”
ADVERTISEMENT
गौरतलब है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर किए गए सर्वे वीडियोग्राफी में सोमवार को कथित रूप से एक शिवलिंग पाया गया और इसके बाद अदालत के निर्देश पर वजू खाने को सील कर दिया गया है.
हालांकि मुस्लिम पक्ष इस दावे को गलत ठहराते हुए कह रहा है कि मुगल काल की बनी सभी मस्जिदों के वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाया जाता था. उसका कहना है कि जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है वह उसी फव्वारे का एक हिस्सा है.
ADVERTISEMENT
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
ज्ञानवापी: जिस जगह शिवलिंग मिलने का किया गया दावा, पुरानी तस्वीर में उसे अंदर से देखिए
ADVERTISEMENT