ज्ञानवापी मामले में कार्बन डेटिंग की नहीं जरूरत, इलाहाबाद हाईकोर्ट में ASI ने कही ये बात

संजय शर्मा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Varanasi News: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक और दलील रखी गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का कहना है कि कि ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की बजाय अन्य सुरक्षित और कारगर तकनीकों के जरिए जांच कराई जाए. कोर्ट ने कहा अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी यथास्थिति आदेश को देखते हुए साइंटिफिक सर्वे कराने की अर्जी खारिज की है. आशंका व्यक्त की गई है कि कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग को क्षति हो सकती है.

एसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कथित शिवलिंग की प्राचीनता की पड़ताल के लिए कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया से होने वाले नुकसान को टाला जा सकता है. क्योंकि आधुनिक विज्ञान में अन्य सुरक्षित और सटीक प्रौद्योगिकी हमारे पास भी है, इसके लिए उन्हें कम से कम तीन महीनों की मोहलत दी जाए.

बता दें कि हाईकोर्ट ने 6 नवंबर को एएसआई को नोटिस भेजकर इस बाबत जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था. पिछली बार सुनवाई के दौरान एएसआई के वकील मनोज सिंह ने कोर्ट में कहा था कि वैसे भी कार्बन डेटिंग तकनीक निर्जीव पदार्थों की उम्र जानने के लिए उपयुक्त नहीं है. पेड़ पौधों जैसे सजीव या कभी सजीव रहे पदार्थों के लिए है. लेकिन याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन की दलील थी कि कथित शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तौर पर उसकी उम्र की पड़ताल हो जानी चाहिए. इसके लिए अदालत कार्बन डेटिंग या किसी अन्य उपयुक्त तकनीक के जरिए इसका पता लगाने का आदेश दे सकती है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

मामले में अब 30 नवंबर को कोर्ट आगे की सुनवाई करेगी. हिंदू पक्ष ने वाराणसी न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. बता दें कि 14 अक्टूबर को अदालत ने कहा था कि यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड पेनिनट्रेटिंग रडार का प्रयोग करने पर उक्त कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का उल्लंघन होगा इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT