प्रयागराज: हर साल उजड़ता है रेत पर बसा तंबुओं का शहर, लेकिन 16 साल से बरकरार है ये शिविर
Prayagraj News: प्रयागराज के संगम के मैदान में हर साल माघ मेला लगता है. यह मैदान कुंभ और महाकुंभ का भी गवाह रहा है. इस…
ADVERTISEMENT
Prayagraj News: प्रयागराज के संगम के मैदान में हर साल माघ मेला लगता है. यह मैदान कुंभ और महाकुंभ का भी गवाह रहा है. इस आस्था के महापर्व की चर्चा पूरे देश में होती है. यहां दूर-दूर से आकर श्रद्धालु पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं. ये माघ मेला कल्पवासियों और साधु संतों के लिए भी जाना जाता है. तंबुओं-शिविरों के शहर में हर पूजा पंडाल और शिविर की अपनी एक कहानी है. इन कहानियों में एक ऐसा शिविर शामिल है जो पिछले 16 साल से आज भी अपनी जगह पर बरकरार है. खास बात यह है कि इस शिविर की दो चीजें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है, जिसमें एक मचान वाले बाबा हैं तो दूसरी यहां जल रही अखंड ज्योति भी है.
मेले में सबसे ऊंचा है ये मचान
प्रयागराज वैसे तो खुद में भी एक विशाल शहर है. मगर संगम के मैदान पर यहां अलग से अस्थाई तंबुओं का शहर भी बसता है. तंबुओं के इस शहर के अलग-अलग पुलिस अधिकारी होते हैं. यहां तक की मरीजों के लिए अलग से अस्पताल भी होता है.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
माघ मेला, कुंभ हो या अर्ध कुंभ, इनके खत्म होते ही तंबुओं का यह शहर उजड़ जाता है. मगर इस मैदान के तंबुओं के शहर में एक शिविर ऐसा भी है जो पिछले 16 सालों से आज भी अपनी जगह पर बरकरार है. मौसम के हर वार को यह शिविर झेलता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि संगम क्षेत्र में बाढ़ का पानी भी हर साल 1 महीने से अधिक समय के लिए इस मैदान को अपने आगोश में ले लेता है. मगर फिर भी ये शिविर अपनी जगह पर बरकरार रहता है. बता दें कि यह शिविर प्रयागराज के माघ मेला क्षेत्र के गंगापार झूसी क्षेत्र के सेक्टर चार संगम लोवर मार्ग शास्त्री ब्रिज के पास मौजूद है. इसकी स्थापना बाबा देवरहा के शिष्य बाबा रामदास ने की थी.
ADVERTISEMENT
अब इस पूरे शिविर को बाबा रामदास जी देखते हैं. साल 2007 में लगा ये शिविर 2023 तक ऐसे ही बरकरार है. हर साल मौसम और बाढ़ की मार के बाद इस शिविर को फिर से सही कर दिया जात है. यहां तक की पूरे माघ मेरे पर निगाह डालने पर भी यह शिविर सबसे ऊंचा नजर आता है.
मचान वाले बाबा के नाम से जाना जाता है ये शिविर
ADVERTISEMENT
बता दें कि माघ मेला में हर साल साधु-संतों के शिविर की अपनी खास बात होती है. इसी तरह देवराहा बाबा के भक्त बाबा रामदास के इस शिविर की दो खासियत हैं. इसमें से एक बाबा राम दास का मचान है, जिसमें बाबा पूजा करने के लिए चढ़ते हैं तो कई दिनों तक नीचे नहीं आते हैं. अगर वह अपने मचान से नीचे आते हैं तो जल्दी अपने मचान के ऊपर नहीं चढ़ते.
माघ मेला क्षेत्र में दूसरी मंजिल के बराबर 25 फिट पर मचान है. इसको लोहे के खंभों से तैयार किया गया है. उसके बाद उस पर पूस से झोपड़ी नुमा बनाया गया है, जिससे यह बाढ़ आने के बाद भी डूबता नहीं है. इसके अंदर बाबा रामदास ने एक छोटा सा मंदिर बना रखा है. बाबा रामदास के मुताबिक माघ मेला चलने की वजह से हर दिन हम लोग यहां पर भक्तों और जरूरतमंदों के लिए खाना का इंतजाम करते हैं.
अखंड ज्योती है दूसरी खास बात
इसके अलावा इस शिविर की दूसरी खास बात एक अखंड ज्योति है. इस अखंड ज्योती को 45 फीट यानी पांच मंजिले मकान के बराबर एक लंबी लकड़ी के जरिए स्थापित किया गया है. बाबा रामदास के मुताबिक, ये अखंड ज्योती देशहित और कल्याण के लिए जलाई जाती है. मिली जानकारी के मुताबिक, जब संगम के रेतीले मैदान को बाढ़ का पानी अपने आगोश में ले लेता है तो उस दौरान अखंड ज्योति को जलाने के लिए बाबा नाव से पहुंचकर यहां आते हैं.
बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का प्रयागराज में सजेगा दरबार! जानें सब कुछ
ADVERTISEMENT