शादी के 9 दिन बाद हुई थी विधायक पति की हत्या! जिन MLA पूजा पाल को सपा ने निकाला उनकी पूरी कहानी
प्रयागराज की चायल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल को पार्टी से निस्कासित कर दिया गया है. बता दें कि पूजा पाल ने मॉनसून सत्र को संबोधित करते हुए सीएम योगी की तारीख की थी.
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प्रयागराज की चायल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल को पार्टी से निस्कासित कर दिया गया है. बता दें कि पूजा पाल ने मॉनसून सत्र को संबोधित करते हुए सीएम योगी की तारीख की थी. इस दौरान का वीडियो भी सोशल मीडया पर खूब वायरल हुआ था. ऐसे में सपा ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर उन्हें बाहर का रास्त दिखा दिया. इस मामले ने पूजा पाल को सुर्खियों में ला दिया है.
आपको बता दें कि पूजा पाल के पति का नाम राजू पाल था. राजू पाल बसपा के विधायक थे. साल 2005 में विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर लगा था. शादी के 9 दिन बाद ही पूजा पाल विधवा हो गईं थी. बता दें कि उस दौर में प्रयागराज में अतीक का इतना खौफ था कि लोग उसके खिलाफ बोलने तक से डरते थे. लेकिन पूजा पाल ने डर के आगे घुटने टेकने की बजाय पति की अधूरी लड़ाई को अपने जीवन का मिशन बना लिया.
पहली बार राजनीति में कदम
राजनीति का कोई अनुभव न होते हुए भी उन्होंने चुनाव मैदान में उतरकर शहर पश्चिम विधानसभा सीट से जीत हासिल की. इसके बाद वह दो बार बीएसपी के टिकट पर विधायक बनीं. मौजूदा समय में वह समाजवादी पार्टी से विधायक हैं.फिलहाल वह भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. लेकिन उन्होंने अभी बीजेपी की सदस्यता नहीं ली है.
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सियासी सफर में बदलाव
समय के साथ राजनीतिक समीकरण बदले. पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा और कौशांबी की चायल सीट से जीतकर तीसरी बार विधायक बनीं. बाहुबली के खिलाफ लड़ाई में वह कभी पीछे नहीं हटीं यहां तक की उन्होंने पार्टी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग भी की क्योंकि उन्हें पता था कि यह जंग किसी भी कीमत पर जीतनी है.
बीजेपी में शामिल होने का फैसला
जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार ने माफियाओं पर सख्त कार्रवाई शुरू की और अतीक अहमद का साम्राज्य ढहने लगा, तो पूजा पाल को लगा कि उनकी असली लड़ाई और विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है. यही कारण था कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर लिया. पूजा पाल सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि पाल बिरादरी की सशक्त प्रतिनिधि मानी जाती हैं. उन्होंने अपनी बिरादरी के अधिकार, सम्मान और राजनीतिक पहचान के लिए सड़क से लेकर विधानसभा तक जोरदार आवाज बुलंद की है.