झांसी में लेखपाल बनते ही रिचा ने पति नीरज को छोड़ा! इन दोनों की पूरी कहानी अब पता चली
आपको पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य का केस याद है न? बता दें कि कुछ इसी प्रकार का मामला दोबारा उत्तर प्रदेश से ही सामने आया है. यहां रिचा नामक महिला ने लेखपाल बनते ही अपने पति नीरज एक साथ छोड़ दिया है...
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न्यूज़ हाइलाइट्स
झांसी से पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य से मिलता जुलता केस सामने आया है.
यहां रिचा नामक महिला ने लेखपाल बनते ही अपने पति नीरज एक साथ छोड़ दिया है.
पत्नी का साथ छूटने की बाद नीरज बहुत परेशान है और प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है.
UP News: आपको पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य का केस याद है न? बता दें कि कुछ इसी प्रकार का मामला दोबारा उत्तर प्रदेश से ही सामने आया है. यहां एक युवक अपनी पत्नी को लेकर काफी परेशान है. युवक ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि उसने लव मैरिज की थी. फिर मेहनत-मजदूरी कर अपनी पत्नी को पढ़ाया लिखाया. इसका नतीजा यह निकला कि पत्नी लेखपाल बन गई. मगर अब युवक की पत्नी लेखपाल बन जाने के बाद उसे छोड़ कर चली गई है.
युवक अपनी पत्नी के लिए पुलिस से लेकर अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है. मगर उसे अभी तक कुछ भी हासिल नहीं नहीं है. वहीं, जब बुधवार को पत्नी को लेखपाल के पद के लिए नियुक्ति पत्र मिल रहा था तो उसे खोजने के लिए वह गया हुआ था, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा. वहीं जब इस बारे में लड़की से फोन पर बात की गई तो उसने कैमरे के सामने आने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी कोई शादी नहीं हुई है.
अब जानिए पूरा मामला
पीड़ित युवक का नाम नीरज विश्वकर्मा है. नीरज झांसी के शहर कोतवाली अंतर्गत बड़ागांव गेट बाहर बाबा का अटा इलाके का निवासी है. नीरज तीन भाई हैं, जिनमें से वह सबसे छोटा है. नीरज विश्वकर्मा कारपेंटर का काम करता है. करीब 5 साल पहले झांसी के सत्यम कालोनी में रहने वाली रिचा सोनी नामक युवती से दोस्त के घर उसकी मुलाकात हुई थी. छह माह दोस्ती चलने के बाद कब उन्हें एक दूसरे-प्यार हो गया, यह पता भी नहीं चला. प्यार होने के बाद दोनों करीब ढाई साल रिलेशनशिप में रहे और फिर ओरछा मंदिर में जाकर शादी कर ली.
लेखपाल की नौकरी मिलते ही बदला रिचा का रुख
शादी करने के बाद दोनों घर आ गए और साथ हंसी-खुशी से रहने लगे. इस दौरान लड़की रिचा ने उसे बताया था कि वह आगे पढ़ना चाहती है. रिचा को पढ़ाने के लिए वह मजदूरी करता रहा. जब रिचा का लेखपाल की नौकरी के लिए चयन हो गया तो फिर उसके रुख बदल गए. लेखपाल के पद पर चयन होने के बाद वह उसे छोड़कर चली गई. तब से लेकर अब तक वह लौटकर घर नहीं आई है.
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अपनी पत्नी को पाने के लिए वह अधिकारी से लेकर पुलिस तक के चक्कर लगा चुका है, लेकिन पत्नी नहीं मिली. यहां तक आज जब उसे पता चला कि उसकी पत्नी को कलेक्ट्रेट में नियुक्ति पत्र मिल रहा है, तो वह उसकी एक झलक पाने के लिए वहां पहुंच गया, लेकिन वहां भी खाली हाथ लौटना पड़ा. वह नियुक्ति पत्र लेकर छिपते हुए निकल गई, लेकिन उससे मुलाकात नहीं की.
जानें नीरज ने क्या कहा?
नीरज ने कहा, "मैं 18 जनवरी से परेशान हूं. मेरी धर्म पत्नी जो रिचा सोनी विश्वकर्मा है, वह लेखपाल बन गई है. इसलिए मुझे छोड़कर चली गई है. अपनी पत्नी के लिए हर जगह जा चुका हूं, लेकिन वह नहीं मिल रही है. जब उसे लेखपाल का नियुक्ति पत्र मिलना था, तो मैं कलेक्ट्रेट गया, उसे खोजने के लिए हर जगह देखा, लेकिन वह नहीं मिली. वह नियुक्ति पत्र लेकर चली गई. मैंने उसके लिए हर कुछ किया.
नीरज ने आगे कहा, "हमने पढ़ाने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना किया. हम कारपेंटर है. जो चहा उसने किया. हम 400-500 रुपये प्रतिदिन कमाते थे. उसी से उसकी पढ़ाई कराई, कई बार तो कर्ज भी लेना पड़ा. आज हम दिन रात उसे याद करते हैं. रात में नींद भी नहीं आती है. आज वह कहती है कि हमारी शादी नहीं हुई है. हमारे पास शादी की फोटो और प्रमाणपत्र है, क्या यह फर्जी है. हमारी ओरछा में शादी हुई थी, फरवरी 2022 में. हम काफी परेशान हैं, उसके लिए दर-दर भटक रहे हैं.
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