SIR में लगी थी लेखपाल सुधीर की ड्यूटी, 26 नवंबर को शादी से एक दिन पहले ही दे दी जान, उन्हें कौन हड़का रहा था?
बिंदकी कोतवाली क्षेत्र के खजुहा कस्बा के रहने वाले 25 साल के एक लेखपाल सुधीर कुमार ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. सुधीर की 26 नवंबर को शादी होने वाली थी. सुधीर के परिजनों ने कानूनगो पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
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यूपी के फतेहपुर जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है. बिंदकी कोतवाली क्षेत्र के खजुहा कस्बा के रहने वाले 25 साल के एक लेखपाल सुधीर कुमार ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. सुधीर कोरी बिंदकी तहसील में लेखपाल के पद पर तैनात था. मौजूदा समय में सुधीर की ड्यूटी SIR में जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में लगी थी. सुधीर की 6 महीने पहले शादी तय हुई थी जो कि 26 नवंबर को होनी थी. शादी को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. बस बुधवार को बारात जाने की देर थी. लेकिन इससे पहले ही सुधीर ने अपनी जान दे दी जिससे परिवार की सभी खुशियां एक पल में मातम में बदल गईं. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि आखिर 25 साल के सुधीर ने ऐसा कदम क्यों उठा लिया. परिवार के सदस्यों के आरोप के मुताबिक, सुधीर के ऊपर काम को लेकर कानूनगो की तरफ से लगातार दबाव बनाया जाा रहा था. इसके साथ ही उसे छुट्टी भी नहीं दी जा रही थी. इस बीच जब उसने एक दिन की छुट्टी ले ली तो उसे सस्सपेंड कर दिया गया जिसके चलते वह मानसिक तौर पर परेशान था. फिलहाल परिजन दोषी कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग पर अड़े हुए है.
आज सीतापुर जाने वाली थी बारात
सुधीर कुमार करीब डेढ़ साल पहले लेखपाल के पद पर नियुक्त हुआ था. आज 26 नवंबर को उसकी शादी होने वाली थी. सुधीर की शादी सीतापुर की रहने वाली काजल नाम की एक लड़की से 6 महीने पहले तय हुई थी. लेकिन शादी से ठीक एक दिन पहले ही सुधीर ने खुद को कमरे में बंदकर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. सुधीर की मौत के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है. वहीं उसके परिजन कानूनगो पर मानसिक दबाव बनाने का आरोप लगा रहे हैं.
बहन अमृता ने लगाए ये आरोप
लेखपाल की बहन अमृता उर्फ रोशनी ने बताया कि सुधीर के ऊपर कानूनगो की तरफ से काम को लेकर दबाव बनाया जा था. अमृता ने बताया कि शादी के लिए उसने छुट्टी का एप्लिकेशन दिया था. लेकिन उसे छुट्टी नहीं दी गई. इस बीच उसने एक दिन की छुट्टी ले ली तो उसे सस्पेंड कर दिया गया जिसका उसे सदमा लगा था. बहन के आरोप के मुताबिक आज सुबह भी कानूनगो ने घर आकर सुधीर को हड़काया था. बहन का कहना है कि ना कानूनगो घर आता और ना सुधीर फांसी लगाया होता.' वही सुधीर के अन्य सदस्यों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए. जब तक न्याय नहीं मिलता है तब तक सुधीर की बॉडी नहीं जाएगी.
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मौसेरे भाई ने बताई उस दिन की कहानी
मृतक के मौसेरे भाई कृष्णदत्त ने बताया कि सुबह के वक्त सुधीर अपने कमरे में सो रहा था. इस बीच कानूनगो ने घर के गेट पर आकर कहा कि 'भाई तुम छुट्टी लेकर यहां बैठे हो. किसी लड़के को काम पर लगा दो और उसे कुछ हजार, दो हजार देकर काम करा लो. इतना कहकर कानूनगो चले गए. लेकिन सुधीर अंदर से कानूनगो की ये बातें सुनता रहा. इस बीच उसने कमरे में ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. जब कुछ देर तक कमरे से कोई हलचल नहीं मिली तो हमने खिड़की से झांकर देखा. इस दौरान सुधीर फंदे से लटका हुआ था और मुंह से ब्लड आ चुका था.'











