मदरसे से 4 साल पहले लापता हुआ इसरार, किशन बन लौटा, साधु बने मुस्लिम परिवार की खुशी की वजह

नाहिद अंसारी

Mahoba News: उत्तर प्रदेश के महोबा से सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करने वालों के मुंह पर तमाचा मारने वाला मामला सामने आया है. यहां चार…

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Mahoba News: उत्तर प्रदेश के महोबा से सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करने वालों के मुंह पर तमाचा मारने वाला मामला सामने आया है. यहां चार साल पहले मदरसा से लापता हुआ बच्चा इसरार अब किशन के तौर पर परिवार को वापस मिला है. एक साधु ने इसरार से किशन बने बच्चे के परिवार की तलाश की और फिर नाबालिग को उसके परिवार से मिला दिया है.

मदरसे से भाग गया था बच्चा

दरअसल मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के चंदला थाना क्षेत्र के मनुरिया में रहने वाले मुबीन ने अपने सबसे बड़े बेटे इसरार और पुत्री को महोबा शहर के शाहपहाड़ी रोड में संचालित मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा था. मिली जानकारी के अनुसार, साल 2019 में इसरार मदरसे में पढ़ने वाले एक लड़के के साथ भाग गया था. दोनों बच्चे झांसी पहुंच गए. इस दौरान दूसरा बच्चा तो वापस आ गया लेकिन इसरार का कुछ पता नहीं चला.

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माता-पिता द्वारा बच्चे की तलाश के लिए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई, लेकिन बच्चे का कुछ पता नहीं चला. 4 साल बाद पुलिस और बच्चे के माता-पिता बच्चे को वापस पाने की उम्मीद खो चुके थे. मगर एक दिन अचानक एक साधु बच्चे के माता-पिता के घर पहुंचा और लापता हुए मासूम को उसके मां-पिता से मिला दिया. अपने बेटे को पाकर मुस्लिम परिवार बहुत खुश है और आस-पड़ोस के लोग भी साधु का धन्यवाद दे रहे हैं.

किशन बताकर आश्रम में छोड़ा था बच्चे को

मिली जानकारी के अनुसार, भटकते मासूम इसरार को जिला जालौन के उरई में रहने वाला एक आदमी अपने साथ ले गया था. उसने इसका नाम किशन रख दिया था. व्यक्ति ने साल 2020 में बच्चे को अपना बेटा किशन बताक ढकोर थाना क्षेत्र के मोहम्दाबाद में मौजूद सत्यानंद ब्रह्माचारी के आश्रम में छोड़ दिया था.

यहां इसरार से किशन बना बच्चा शिक्षा भी ग्रहण कर रहा था और साधु सत्यानंद ब्रह्माचारी की सेवा में भी लगा रहा था. जानकारी के मुताबिक, 4 नवंबर को अचानक वह युवक आश्रम में आ गया और बच्चे को लेकर कानपुर चला गया. इस दौरान साधु बच्चे को तलाशते रहे. 15 दिन बाद साधु को पता चला की बच्चा उरई में हैं तो साधु वहां पहुंच गए.

फिर हुआ मामले का खुलासा

उस व्यक्ति ने साधु को बच्चा देने से मना कर दिया और बताया कि बच्चे से मुझे काम करवाना है. यह उसका बेटा नहीं है बल्कि एक मुसलमान परिवार का खोया हुआ बच्चा है. इसके बाद साधु ने बच्चे से पूरी जानकारी ली और वह बच्चे को अपने साथ लेकर मध्य प्रदेश के मनुरियां गांव पहुंच गया और बच्चे को उसके मां-पिता से मिलवा दिया.

मुस्लिम परिवार अब बार-बार साधु को धन्यवाद दे रहा है. इस मामले पर साधु सत्यानंद ब्रह्मचारी का कहना हैं कि उन्होंने एक बड़े पुण्य का काम किया है. बिछड़े पुत्र को उसके मां-बाप से मिलाकर उसने सही धर्म निभाया है.

मासूम के परिवार ने पुलिस को भी इसरार के मिलने की खबर दी. पुलिस साधु सहित बच्चे और परिवार को कोतवाली ले आई. इसके बाद पुलिस ने मासूम को को चाइल्ड लाइन को सौप दिया. पुलिस द्वारा मामले में कार्रवाई की जा रही है.

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