UP: इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाई ऐसी खाद, जिससे घटेगी खेती की लागत, किसानों को होगा खूब लाभ
Lucknow News: बड़े संस्थान से इंजीनियरिंग करने के बाद देश के ज़्यादातर युवा या तो बड़ी कंपनियों में नौकरी करना पसंद करते हैं या फिर…
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Lucknow News: बड़े संस्थान से इंजीनियरिंग करने के बाद देश के ज़्यादातर युवा या तो बड़ी कंपनियों में नौकरी करना पसंद करते हैं या फिर विदेश चले जाते हैं. अब तो देखा जा रहा है कि किसान परिवारों के युवा भी खेती की तरफ आकृषित नहीं हो रहे हैं. ऐसे में किसान परिवार में जन्में अक्षय श्रीवास्तव और मुकेश चौहान ने अपने आप में मिसाल पेश की है. आज उनका स्टार्ट-अप लैब से निकलकर खेतों में पहुंच चुका है. बता दें कि इनके स्टार्ट-अप की शुरुआत IIT kanpur के इंक्यूबेशन सेंटर से शुरू हुई थी.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुए औद्योगिक निवेश के थर्ड ग्राउंड ब्रेकिंग (third ground breaking) में IIT के छात्रों का एक अभिनव प्रयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य अतिथियों के सामने आया. कैसे किसानों की मदद उनके खेत में ऐसे खाद या Fertilizer से की जा सकती है जिससे उनकी खेती की लागत घट जाए. LCB fertilizer नाम का ये खाद वो स्टार्ट-अप है जो IIT कानपुर जैसी संस्था के इंक्यूबेशन सेंटर में शुरू हुआ और देखते ही देखते 20 राज्यों तक पहुंच गया. इसी के साथ ये किसानों को नई उम्मीद भी देने का काम कर रहा है.
कैसे शुरू हुआ ये सफर?
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अक्षय बताते हैं कि गोरखपुर के मदन मोहन इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई के बाद उन्होंने जब आगे कुछ करने के लिए सोचा तो उनके दिमाग़ में अपने परिवार और खेती की परेशानियां सामने आई. उन्होंने और मुकेश चौहान ने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे किसानों की मुश्किलें कुछ कम हो जाए.
अक्षय कहते हैं कि उन लोगों ने किसानों की ज़रूरत को ध्यान में रख कर ही LCB fertilizer को विकसित किया है. हम दोनों ने घंटो लैब में जीवाणुओं पर काम किया. अलग अलग स्थिति में उनका अध्ययन किया. उसके बाद ये तकनीक निकल कर सामने आई. इसमें अलग-अलग जगह से इकट्ठा किए जीवाणुओं को एक साथ रखा जाता है. इस तकनीक से बना Fertilizer काफ़ी उन्नत होता है.
दोनों ने मिलकर पराली पर भी किया काम
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इसके बाद अक्षय और मुकेश ने पराली पर काम किया. पराली कई क्षेत्रों में बड़ी समस्या है. इसके लिए पराली को ही खाद के रूप में इस्तेमाल करने की भी तकनीक उन्होंने खोज निकाली. उन्होंने बताया कि पराली को इकट्ठा करके उसका साइज़ छोटा कर देते हैं. उसके बाद उसमें जीवाणु डाल देते हैं. फिर उसे लैब में ले जाकर उसे तैयार किया जाता है और जब पराली सड़ जाती है तो वह खाद का काम करती है.
अक्षय और मुकेश की इस पहल से किसानों को बहुत लाभ होने की उम्मीदें है. अब इनका खाद खेतों में जा चुका है. अब देश के दूसरे राज्यों में भी ये अपने स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
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