अब महीनों नहीं लगेंगे घर का नक्शा पास कराने में, LDA ने बदली ये प्रक्रिया
Lucknow News: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मकान का नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है. अब नगर निगम से एनओसी लेना अनिवार्य नहीं होगा, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.
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Lucknow News: लखनऊ वासियों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है. अब मकान बनवाने के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को और भी सरल कर दिया गया है. पहले नक्शा पास कराने के लिए नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना जरूरी था, लेकिन अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने इस नियम को खत्म कर दिया है. नगर निगम की फाइलों में अक्सर महीनों तक नक्शे लटके रह जाते थे पर अब इस समस्या का भी समाधान हो चुका है .
एलडीए ने हाल में ही मानचित्र समाधान दिवस आयोजित किया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिकायतें किया जिसमें उन्होंने बताया कि नगर निगम से एनओसी नहीं मिलने की वजह से उनके नक्शे महीनों से पास नहीं हुए हैं. कई मामलों में तो एनओसी छह महीने से भी अधिक समय से नहीं मिली थी, जिससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.
इस गंभीर समस्या को समझते हुए एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने 15 अप्रैल को बड़ा निर्णय लिया. उन्हानें प्रस्ताव रखा कि नक्शा पास कराने के लिए नगर निगम से एनओसी लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी जिसे बोर्ड की बैठक में मंजूरी दे दी गई है.
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अब नक्शा पास करने की प्रक्रिया क्या रहेगी
अवैध निर्माणों की पहचान करने के लिए पहले आवेदन करना और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता था, जिसमें आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाना, आवेदन करना, संस्था द्वारा भूखंड की जांच और अप्रूवल की प्रक्रिया शामिल थी. इस पूरी प्रक्रिया को पूरी होने में महीनो का समय लग जाता था. पर इसे बिल्कुल आसान कर दिया गया है. एलडीए अब खुद अपने अभिलेखों से जमीन की जानकारी सत्यापित करेगा और जीआईएस तकनीक से अवैध निर्माणों की पहचान करेगा. आवेदकों को सिर्फ एक शपथ पत्र देना होगा कि वे सड़क, ड्रेनेज या पार्किंग में कोई बाधा नहीं पहुंचाएंगे.
इस फैसले क्या फायदा होगा
इस फैसले से लखनऊ के नागरिकों को मकान निर्माण की प्रक्रिया में बड़ी राहत मिलेगी. अब नगर निगम से एनओसी की अनिवार्यता समाप्त होने से नक्शा पास कराने में काफी कम समय लगेगा. इससे लोग तेजी से निर्माण कार्य शुरू कर सकेंगे. जीआईएस तकनीक और एलडीए के रिकॉर्ड के आधार पर सत्यापन की नई प्रणाली प्रक्रिया को पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार रोक लग सकती है. इसके साथ ही नागरिकों को अनावश्यक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और प्रशासन के ऊपर भी बोझ कम होगा. यह कदम विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो स्मार्ट सिटी लखनऊ के विकास को गति देगा.
(यह खबर यूपी Tak के साथ इंटर्नशिप कर रहे सिद्धार्थ मौर्य ने लिखी है.)