कानपुर के हरीओम पांडे ने अरीबा और कीर्ति के साथ मिलकर 1 लाख लोगों संग किया ये बड़ा कांड, ये है पूरा केस

रंजय सिंह

कानपुर शहर में साइबर अपराध का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने नौकरी के सपने देखने वालों की उम्मीदों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है

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कानपुर शहर में साइबर अपराध का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने नौकरी के सपने देखने वालों की उम्मीदों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. सोमवार को पुलिस ने एक हाईटेक साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया, जो विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर देशभर के एक लाख से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका था. इस गिरोह की खास बात यह थी कि इसमें शामिल कई लड़कियां पहले खुद नौकरी की तलाश में इस गैंग की साइट पर आवेदन करती थीं, लेकिन बाद में उसी गिरोह का हिस्सा बनकर दूसरों को ठगने का काम शुरू कर देती थीं. इस सनसनीखेज खुलासे ने न सिर्फ पुलिस को चौंकाया, बल्कि आम लोगों में भी सनसनी फैला दी.

गिरोह का संचालन और ठगी का तरीका

पुलिस की छानबीन में पता चला कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड हरिओम पांडे था, जो पूरे नेटवर्क को नियंत्रित करता था. गिरोह में पकड़ी गईं दो युवतियां, अरीबा अंसारी और कीर्ति गुप्ता दोनों ग्रेजुएट हैं. इन दोनों ने शुरुआत में ‘ग्लोबल करियर’ और ‘ओवरसीज कंसल्टेंसी’ नाम की फर्जी वेबसाइट्स पर विदेश में नौकरी के लिए आवेदन किया था. 

हरिओम ने उन्हें 20,000 रुपये मासिक वेतन का लालच देकर अपनी कंपनी में शामिल किया और फिर धीरे-धीरे ठगी के धंधे में ढकेल दिया. ये युवतियां टेलीकॉलिंग के जरिए लोगों से संपर्क करती थीं. फर्जी इंटरव्यू लेती थीं और भरोसा जीतकर उनके बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाती थीं.

 

 

क्राइम ब्रांच के डीसीपी एसएम कासिम आबिदी के मुताबिक इस गैंग में कानपुर के कल्याणपुर, आवास विकास और काकादेव इलाकों की कई अन्य लड़कियां भी शामिल थीं. ये लड़कियां अपनी बेहतरीन हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा की जानकारी का इस्तेमाल करती थीं. खासकर उर्दू भाषी लोगों को निशाना बनाने के लिए अरीबा जैसी युवतियां उनकी भाषा में बातचीत और इंटरव्यू करती थीं जिससे लोग आसानी से उनके जाल में फंस जाते थे.

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ठगी का पैमाना और पुलिस की कार्रवाई

पुलिस जांच में सामने आया कि इस गिरोह ने अब तक चार करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की और देशभर में एक लाख से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया. यह गैंग इतना शातिर था कि शायद कभी पकड़ा नहीं जाता. अगर पंजाब के रहने वाले विकास शर्मा ने कानपुर साइबर सेल में शिकायत दर्ज न की होती. विकास से 26,800 रुपये ठगे गए थे जिसके बाद साइबर सेल ने जांच शुरू की और इस गिरोह का भंडाफोड़ हुआ. सोमवार को जब पुलिस ने छापेमारी की तो हरिओम पांडे के साथ अरीबा और कीर्ति को गिरफ्तार किया गया. पुलिस को इनके पास से 3 लैपटॉप, 9 स्मार्टफोन और 14 कीपैड फोन भी मिले.

आगे की जांच और सावधानी की जरूरत

डीसीपी आबिदी ने बताया कि इस गैंग में शामिल अन्य लड़कियों और सदस्यों की तलाश के लिए पुलिस सक्रियता से छानबीन कर रही है. यह मामला नौकरी की चाह रखने वाले युवाओं के लिए एक सबक भी है कि आकर्षक ऑफर और फर्जी वेबसाइट्स के झांसे में आने से पहले सावधानी बरतनी जरूरी है. कानपुर पुलिस अब इस नेटवर्क के हर पहलू को खंगाल रही है ताकि सभी दोषियों को सजा दिलाई जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लगाम लग सके.

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