अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के लिए दी गई जमीन फंसी! रानी पंजाबी बोली- ये भूमि तो मेरी है

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Ayodhya News: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी बीते 22 जनवरी के दिन किया जा चुका है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में आवंटित की गई जमीन पर मस्जिद का भी निर्माण होना है और सभी की इसपर  निगाहें भी हैं. मगर इस मस्जिद को लेकर विवाद पपनप गया है. बता दें कि दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर अपना मालिकाना हक होने का दावा किया है. साथ ही महिला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात भी कही है.

विवाद पर इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने ये कहा 

हालांकि, मस्जिद के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तहत गठित 'इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट' का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है और इसी साल अक्टूबर से मस्जिद समेत पूरी परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा. 

महिला का क्या है दावा?

 

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दिल्ली की रहने वाली रानी पंजाबी नाम की महिला का दावा है कि प्रशासन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम के आदेश पर, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में जो पांच एकड़ जमीन आवंटित की है, वह उसके मालिकाना हक वाले 28.35 एकड़ जमीन का ही एक हिस्सा है. रानी ने दावा किया कि मस्जिद के लिए आवंटित की गई जमीन उनके परिवार की है और उनके पास इसके मालिकाना हक के सभी दस्तावेज भी हैं.

 

 

रानी ने बताई ये बात 

रानी का कहना है कि उनके पिता ज्ञानचंद पंजाबी देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से फैजाबाद (अब अयोध्या जिला) आ गए थे और उन्हें वहां (पाकिस्तान स्थित पंजाब में) छोड़ी गई जमीन के एवज में धन्नीपुर में 28.35 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी. इस जमीन पर उनका परिवार खेती-बारी किया करता था. वर्ष 1983 में उनके पिता की तबीयत खराब होने पर उनके इलाज के लिए परिवार दिल्ली में बस गया. उसके बाद से फैजाबाद स्थित उनकी जमीन पर कब्जा होता चला गया.

विवादित जमीन पर बन पाएगी मस्जिद?

रानी का कहना है कि उन्हें मस्जिद निर्माण से कोई एतराज नहीं है लेकिन वह चाहती हैं कि प्रशासन उनके पास मौजूद अभिलेखों के आधार पर उनकी जमीन की माप करवाकर उनके साथ न्याय करे. शरीयत (इस्लामी कानून) के लिहाज से भी यह मामला महत्वपूर्ण बताया जा रहा है क्योंकि उलेमा (इस्लामी धर्म गुरुओं) के मुताबिक, इस्लाम में, किसी विवादित जमीन पर मस्जिद बनाना जायज नहीं माना जाता है.

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2021 में हो गया था रानी का दावा खारिज

हालांकि, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और मस्जिद निर्माण के लिए गठित 'इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट' के प्रमुख जुफर फारूकी का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय वर्ष 2021 में ही रानी पंजाबी का दावा खारिज कर चुका है और अब मस्जिद निर्माण में कोई अड़चन नहीं है. उन्होंने कहा, 'परियोजना में कोई अड़चन नहीं है. जहां तक जमीन पर महिला के (मालिकाना हक होने के) दावे की बात है तो उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय 2021 में ही खारिज कर चुका है. कुछ छोटी-मोटी समस्याएं हैं जिन्हें सुलझाया जा रहा है और उम्मीद है कि अक्टूबर तक परियोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा.'

यह पूछे जाने पर कि बोर्ड ने पहले कहा था कि मस्जिद तथा अन्य इमारतों का निर्माण इसी साल मई से शुरू होगा, फारूकी ने कहा, 'हां, कुछ देर जरूर हुई है क्योंकि पूरी परियोजना का डिजाइन नए सिरे से तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा, धन जुटाने के लिए एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) प्रमाण पत्र भी अभी नहीं मिल पाया है.' परियोजना निर्माण समिति के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि उन्होंने रानी पंजाबी से उनके दावे के संबंध में उनसे कई बार मुलाकात की और उनसे कहा कि इस्लाम में किसी विवादित जमीन पर मस्जिद बनाना जायज नहीं है. साथ ही, अगर उनके पास अपने दावे के समर्थन में पुख्ता सबूत है तो उन्हें पेश करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में नौ नवंबर 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में, विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण तथा मस्जिद के निर्माण के लिए मुसलमानों को अयोध्या में किसी अन्य प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित किये जाने का आदेश दिया था. सरकार ने आदेश पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के रौनाही स्थित धन्नीपुर गांव में जमीन आवंटित की थी. मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने आवंटित जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, सामुदायिक रसोई, पुस्तकालय और शोध संस्थान बनाने का ऐलान किया था.

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यह उम्मीद जताई जा रही थी कि राम मंदिर के साथ-साथ मस्जिद का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा. इस साल जनवरी में, राम मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा भी हो चुकी है. हालांकि, पहले नक्शा मंजूर होने में दिक्कतों और फिर निर्माण कार्य के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं होने तथा अन्य समस्याओं की वजह से मस्जिद व अन्य इमारतें के निर्माण का इंतजार बढ़ता जा रहा है.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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