बाबरी मस्जिद की ये ईंट अयोध्या से कैसे पहुंच गई महाराष्ट्र? इसकी अलग ही कहानी पता चली

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मनसे के नेता बाला नंदगांवकर अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहां से एक ईंट लेकर आए थे, जो उन्होंने मंगलवार को राज ठाकरे को उपहार में दी. 

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता बाला नंदगांवकर अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहां से एक ईंट लेकर आए थे, जो उन्होंने मंगलवार को राज ठाकरे को उपहार में दी. 

नंदगांवकर ने दावा किया कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं. 16वीं सदी की इस मस्जिद को वर्ष 1992 में 'कार सेवकों' ने ढहा दिया था. 

बाल ठाकरे अक्सर कहा करते थे कि ढांचे को गिराने में अगर उनके किसी शिवसैनिक ने हिस्सा लिया होता तो उन्हें गर्व होता. नंदगांवकर ने कहा कि उन्होंने सालों से ईंट को संभालकर रखा था.

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पूर्व विधायक ने कहा, ''मैं हमेशा से चाहता था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद इसे बालासाहेब ठाकरे को उपहार में दूंगा. दुख की बात ये है कि मंदिर तो बन गया लेकिन बालासाहेब हमारे बीच नहीं हैं.''

पार्टी प्रमुख को ईंट उपहार में देने के बाद उन्होंने कहा, ''इसलिए मैंने इसे राज ठाकरे को उपहार में देने का फैसला किया, जो सही मायने में बालासाहेब के विचारों को आगे ले जा रहे हैं.राजठाकरे बालासाहेब की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं.''

नंदगांवकर ने कहा कि वह 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए अयोध्या गए थे. उन्होंने कहा, ''कारसेवा के लिए मेरे साथ शिवसेना के कई कार्यकर्ता थे.'' 
 

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