अयोध्या: नई पहचान बनाने को बेताब दिख रही राम नगरी, लोग बोले- विकास की चुकानी पड़ रही कीमत

अभिषेक मिश्रा

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बाबरी विध्वंस के तीन दशक बाद भी धर्म नगरी अयोध्या में विकास कार्य जारी हैं. एक तरफ प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग धन्नीपुर में मस्जिद बनाने का प्लान कर रहे हैं. अयोध्या के विकास के केंद्र में राम जन्मभूमि स्थल पर बन रहा राम मंदिर है, जो दशकों से चली आ रही अदालती लड़ाई का केंद्र रहा. बाबरी मस्जिद विध्वंस के 30 साल बाद अब अयोध्या भी नए तौर पर बनता नजर आ रहा है, जिसके सामने कई चुनौतियों भी हैं.

बता दें कि लोगों का मानना ​​था कि बाबरी मस्जिद के जगह पर भगवान राम का जन्म स्थान है और मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद बनाया गया. 1980 के दशक के अंत में इस तीखे विवाद ने गति पकड़ी और 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों में 16वीं शताब्दी की मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में मंदिर के हक में अपना फैसला सुनाया.

राम मंदिर पर काम अब जनवरी 2024 की समय सीमा के साथ चल रहा है और इसके उद्घाटन की उम्मीद में राज्य सरकार शहर में अन्य बुनियादी ढांचे का विकास कर रही है. राममंदिर बनने के बाद अयोध्या को तीर्थयात्रियों के लिए दुनिया के सबसे पवित्र स्थानों में से एक होगा. अयोध्या के विकास के काम में एक नया टाउनशिप, एक औद्योगिक क्षेत्र, यहां तक ​​​​कि एक हवाई अड्डा भी है. इसके लिए अयोध्या में काम तेजी से चल रहा है. जिसका बदला हुआ स्वरूप आज टूटी हुई इमारतों मंदिरों और मठों के तौर पर दिखाई दे रहा है. इस पर स्थानीय लोग सवाल करते नजर आ रहे हैं.

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राम मंदिर निर्माण और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर प्रदेश सरकार ने सड़क चौड़ीकरण की योजना को तैयार किया है. इसमें हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि भक्ति पथ, सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि पथ और नया घाट से सहादतगंज तक के मार्ग का राम पथ के रूप में निर्माण कराया जाएगा, लेकिन इस योजना में बड़ी संख्या में प्राचीन इमारतें भी प्रभावित हो रही हैं. अयोध्या के 2 दर्जन से अधिक ऐसे मंदिर हैं, जो मुख्य मार्ग से सटे हुए हैं जिनको तोड़ने पर उनके स्वरूप का इतिहास भी समाप्त हो जाएगा. इसके अलावा 700 से अधिक दुकानें पर भी तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है.

अब इन इमारतों को पुनः जीर्णोद्धार करने की भी योजना अयोध्या विकास प्राधिकरण के द्वारा बनाई गई है. अयोध्या धाम के प्रमुख तीनों सडकों को फसाद कंट्रोल पर विकसित किया जाएगा, जिसमें यात्री सुविधाओं के साथ इन मार्गों पर पड़ने वाले पुराने भवनों को भी एक ही रंग में रंगने और उन्हें एक स्वरूप दिए जाने की योजना पर कार्य किया जाएगा. वहीं जिन दुकानों को तोड़ा जा रहा है वह एक मुख्य सड़क को चौड़ा करने के लिए है. वहीं हनुमान गढ़ी में ज्यादातर दुकानें हनुमान गढ़ी मंदिर ट्रस्ट की थीं और दुकानदार किराएदार थे. अब, अधिकांश दुकानें लगभग 500 दुकानो को तोड़ दिया गया है या गिरा दिया जाएगा.

“विकास एक कीमत पर आता है और ज्यादातर समय समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग को विकास का खामियाजा भुगतना पड़ता है”, यह कहना है हनुमान गढ़ी रोड पर कपड़ो की दुकान लगाने वाले राजेश गुप्ता का. राजेश परिवार पिछले 40 सालों से यह काम कर रहा है लेकिन अब चौड़ीकरण में उनकी दुकान चली गई है. यूपीतक से बातचीत में दुकानदार कहते हैं कि हमने कभी नहीं सोचा था कि राम मंदिर हमारे लिए नई चिंता लेकर आएगा. रातों- रात काम हो रहा है और पूरी तरीके से दुकान का माल और ग्राहकी खत्म हो चुकी है. ऐसे में दुकानदारों के आगे कोई रास्ता नहीं बचा है. जो हर्जाना दिया जा रहा है वह बेहद कम है.

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अयोध्या पर रामघाट से लेकर सहआदतगंज तक 13 किलोमीटर लंबी राम पथ पर तिवारी परिवार रहता है. परिवार के मुखिया तिवारी ने बताया कि पिछले 22 साल से वह यहां रह रहे हैं. लेकिन यहां अब चौड़ीकरण का काम शुरू कर दिया गया और स्थानीय लोगों को समय नहीं दिया गया. उनका मानना है कि भगवान की मंदिर निर्माण में सब ने सहयोग किया है लेकिन प्रशासन और सरकार को उन दुकानदारों और रहवासियों के बारे में सोचना चाहिए ताकि वह अपना इंतजाम कर सकें.

उनकी पत्नी स्वरूपा कहती हैं 22 साल इस घर में गुजार दिए लेकिन एकाएक घर खाली करने के बाद अब उनके आगे कोई सहारा नहीं है। घर में तीन बच्चे हैं आय का कोई साधन नहीं है और ऐसे में भविष्य से ज्यादा वर्तमान की चिंताओं ने सता रही है। परिवार के बेटे अमित कहते हैं कि जिस तरीके से प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है उसमें ना तो समय दिया गया और हर्जाना भी बहुत कम है ऐसे में क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है.

ऐसे ही नाराज है दुकानदार शिवकुमार गुप्ता कहते हैं कि पिछले 30 सालों से कॉस्मेटिक्स और चूड़ी की दुकान लगाते थे लेकिन इस कार्रवाई में उनकी पूरी दुकान चली गई आधे से ज्यादा माल फेंकना पड़ा और आप खाने के लाले हैं. सरकार चाहती तो कोई बेहतर रास्ता अपना सकती थी जरूरत से ज्यादा चौड़ीकरण किया जा रहा है और गरीब परिवार विराट आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी मंदिर के लिए अपना घर दुकान छोड़ना पड़ेगा और आमदनी कमाने के साधन भी खत्म हो जाएंगे.

दूसरी तरफ हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास विकास कार्य को अयोध्या के लिए जरूरी बताते हैं.आजतक से बातचीत में राजू दास ने कहा क्या विद्या में लगातार काम चल रहा है और यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. ऐसे में अगर मंदिर के साथ-साथ पूरे क्षेत्र का विकास चाहिए तो थोड़ा त्याग करना पड़ेगा. हनुमानगढ़ी ट्रस्ट की भी जमीन इस चौड़ीकरण में जा रही है. जो हमने अपनी इच्छा से दी है. ऐसे में लोगों से अपील है कि वह भी इसमें सहयोग करें. हालांकि प्रशासन को चाहिए कि वह हर्जाने के तौर पर ज्यादा राशि दें ताकि गरीब परिवारों दुकानदारों का काम चल सके.

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