सपा का पल्लवी पटेल की पार्टी से टूटा गठबंधन, आखिर राजभर-जयंत सब क्यों छोड़ रहे अखिलेश का साथ?
अपना दल (कमेरावादी) और समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन भी टूट गया है. इसका औपचारिक ऐलान आज यानी 21 मार्च को खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में दफ्तर के अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया.
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UP Political News: लोकसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सियासी दलों के बीच उठा-पटक का सिलसिला जारी है. इस बीच उत्तर प्रदेश में भी सियासी सरगर्मियां अपने ऊफान पर हैं. बीते दिनों राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ आए थे. वहीं, इस बीच खबर मिली है कि अपना दल (कमेरावादी) और समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन भी टूट गया है. इसका औपचारिक ऐलान आज यानी 21 मार्च को खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में दफ्तर के अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया.
अखिलेश ने दिया ये बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि 'समाजवादी पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) के बीच अब कोई गठबंधन नहीं है.' उन्होंने आगे कहा कि यह गठबंधन 2022 में था, लेकिन 2024 में नहीं है.
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जानिए अब तक किस-किस ने छोड़ा सपा का साथ
इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि गठबंधन के साथी खुद अखिलेश यादव को छोड़ रहे हैं. या फिर अखिलेश यादव उनसे अपना रिश्ता खत्म कर रहे हैं? बता दें कि इसकी शुरूआत सबसे पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने साल 2022 चुनाव (यूपी विधानसभा) के तुरंत बाद की थी. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राजभर ने समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली थी और बाद में अपना गठबंधन तोड़ लिया था. वहीं अभी कुछ हफ्ते पहले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भी समाजवादी पार्टी से अपना गठबंधन खत्म कर भाजपा के साथ जाने का ऐलान किया. वहीं अब पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल (कमेरावादी) से गठबंधन खत्म होने का ऐलान खुद अखिलेश यादव ने कर दिया है.
बता दें कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जिन ओबीसी नेताओं ने अखिलेश यादव के लिए चुनाव का माहौल बनाया था, वे सब अखिलेश से अलग हो चुके हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान सहित सभी ओबीसी नेता अखिलेश का दामन छोड़ चुके हैं. ऐसे में फिलहाल अखिलेश यादव के साथ INDIA गठबंधन के साथी कांग्रेस के अलावा और कोई नहीं दिखाई दे रहा है. अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि इन नेताओं का अखिलेश से दूर जाना सपा को फायदा पहुंचाता है या नुकसान?
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