क्या उमेश पाल की हत्या अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद की ताजपोशी के लिए हुई?

संतोष शर्मा

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Umesh Pal murder case: प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी शूटरों के मामले में पुलिस अब भी खाली हाथ है. यूपी पुलिस की टीमें पांच राज्यों के 13 शहरों में अबतक इन शूटरों की तलाशी कर चुकी है. फिर भी उसके हाथ खाली हैं. इस बीच प्रयागराज में हुए इस हत्याकांड की मॉडस ऑपरेंडी देखकर कई तरह की अटकलबाजियां भी लगाई जा रही हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उमेश पाल हत्याकांड के पीछे का उद्देश्य अतीक अहमद के बेटे असद की ताजपोशी था. ऐसा इसलिए ताकि असद अतीक के साम्राज्य को अच्छे से संभाल पाए और अपने पिता का खौफ कम न होने दे. इसे एक मैसेज देने की कोशिश भी माना जा रहा है कि अतीक के बाद अब असद की ही चलेगी.

उमेश पाल हत्याकांड के आरोप अतीक के परिवार पर लगे हैं. इस मामले में असद भी शूटरों समेत आरोपी है और पुलिस को उसकी तलाश है. पुलिस का मानना है कि 40 सालों से अपराध की दुनिया में बादशाहत कायम करने वाले अतीक अहमद के इशारे पर ही धूमनगंज में सरेआम 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया. ऐसा माना जा रहा है कि इस हत्याकांड की पूरी पटकथा अतीक अहमद ने जानबूझकर ऐसी लिखी ताकि उमेश पाल की हत्या के साथ ही उसके तीसरे बेटे असद की अपराध की में ताजपोशी की जा सके.

आरोपियों ने दहशत फैलाने वाला तरीका चुना

उमेश पाल की हत्या को अंजाम देने के लिए शूटरों ने दिनदहाड़े दहशत फैलाने वाला तरीका चुना. वारदात की सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस का दावा है कि असद क्रेटा कार से जैसे ही उतारता है वह बिना अपना चेहरा छुपाए दौड़ते हुए पिस्टल को लोड कर फायरिंग शुरु करता है. इतना ही नहीं वह उमेश पाल को दौड़ाते हुए गली में घुसकर गोली मारता है. बिना यह चिंता किए कि उसका नाम आएगा तो अतीक के लिए मुश्किलें होंगी और उसको भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.

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फुटेज में देखा जा सकता है कि अतीक अहमद के परिवार के साथ साए की तरह घूमने वाला साबिर भी बिना चेहरा छुपाए कार से उतरते ही राइफल से फायरिंग शुरू कर देता है. पहले पब्लिक को रोका जाता है और फिर उमेश पाल की कार में बैठे गनर संदीप निषाद को गोली मार दी जाती है. साबिर ने भी अपनी पहचान छिपाने की कोशिश नहीं की, जबकि दुनिया जानती है कि मौजूदा वक्त में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के साथ साए की तरह साबिर ही साथ रहता है.

तीसरा किरदार बमबाज गुड्डू मुस्लिम जिसने बाइक से उतरते ही थैले में रखे बम दागने शुरू कर दिए. गुड्डू मुस्लिम को प्रयागराज ही नहीं लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, अयोध्या, मेरठ और गाजीपुर तक में लोग पहचानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि उसने बमबाजी से ही सुपारी किलिंग की शुरुआत की. उसे एक समय धनंजय सिंह और अभय सिंह का करीबी भी माना जाता था. फिलहाल वह लंबे समय से अतीक अहमद के लिए प्रयागराज में काम कर रहा है. गुड्डू मुस्लिम ने भी अपना चेहरा छिपाने की कोई कोशिश नहीं की.

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क्या यह संदेश देने की कोशिश कि अतीक का फरमान नहीं माना तो हश्र यही होगा?

असद, गुड्डू मुस्लिम और साबिर यह तीन आरोपी नाम ऐसे थे जिनकी मौजूदगी ही यह इशारा करने लगी कि उमेश पाल की हत्या के पीछे साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद का हाथ है. दरअसल उमेश पाल की इस तरह से हत्या करवा एक तीर से दो शिकार साधने की कवायद है. ऐसा माना जा रहा है कि एक तो उमेश पाल को अतीक का फरमान नहीं मानने की सजा दी गई. दूसरा प्रयागराज और आसपास के लोगों को यह बताया गया कि अतीक की बात नहीं मानने वालों का इस सरकार में भी क्या अंजाम होगा.

दूसरी तरफ उमेश पाल की हत्या को अंजाम देकर एहसास कराया गया कि हत्या में किसका हाथ है और किसने हत्याकांड को अंजाम दिया. इससे यह साफ संदेश देने की कोशिश हुई कि अतीक के दो बेटे अली और उमर भले ही जेल में बंद हों, लेकिन उसका तीसरा बेटा असद अब उसके साम्राज्य का वारिस है.

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प्रयागराज में लंबे समय तक तैनात रहे एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि अगर जल्द अतीक अहमद का बेटा असद और उसके साथी नहीं पकड़े गए तो प्रयागराज व आसपास के कई जिलों में व्यापारियों से रंगदारी वसूली बढ़ जाएगी. उमेश पाल का उदाहरण देकर व्यापारियों से अतीक और उसके लड़के वसूली करने लगेंगेय. फिलहाल तो यही लगता है कि आरोपी शूटरों ने भागने का भी पूरा प्लान बना रखा था. तभी वे 15 दिनों से एसटीएफ और यूपी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.

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