खतौली उपचुनाव: क्या जयंत चौधरी खड़ी कर पाएंगे बीजेपी की खाट? देखें पत्रकारों का एग्जिट पोल
उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए सोमवार को मतदान संपन्न हुआ. वोटिंग सुबह सात बजे शुरू हुई, जो कि शाम 6…
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उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए सोमवार को मतदान संपन्न हुआ. वोटिंग सुबह सात बजे शुरू हुई, जो कि शाम 6…
उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए सोमवार को मतदान संपन्न हुआ. वोटिंग सुबह सात बजे शुरू हुई, जो कि शाम 6 बजे तक चली. शाम 5 बजे तक खतौली में 54.50% वोटिंग हुई है.
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उपचुनाव के लिए वोटिंग संपन्न होने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों की निगाहें 8 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणामों पर टिकी हैं.
फिलहाल चुनावी परिणाम से पहले यूपी तक पर देखिए खतौली विधानसभा को लेकर पत्रकारों का एक्जिट पोल…(टॉप पर शेयर किए गए लिंक पर क्लिक कर देखें)
बता दें कि खतौली सीट बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते रिक्त हुई. ऐसे में यहां आज उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ.
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गौरतलब है कि खतौली सीट पर निवर्तमान विधायक विक्रम सिंह सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं, जबकि सपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल ने मदन भैया को प्रत्याशी बनाया है. राष्ट्रीय लोक दल अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने उम्मीदवार के समर्थन में खतौली क्षेत्र में ही रहे.
खतौली विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली है. बीजेपी अपनी इस सीट को बरकरार रखने की कोशिश कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल (सपा-रालोद) गठबंधन सत्तारूढ़ दल को कड़ी चुनौती दिया. यह विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर शहर से 25 किमी दक्षिण में स्थित है.
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इस उपचुनाव से कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दूर रहने के कारण भाजपा और सपा-रालोद के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली है.
चार बार के विधायक एवं रालोद उम्मीदवार मदन भैया ने अपना पिछला चुनाव लगभग 15 साल पहले जीता था. इसके बाद गाजियाबाद के लोनी से 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा.
राजनीतिक दलों के सूत्रों के अनुसार, खतौली में 3.16 लाख मतदाता हैं, जिनमें लगभग 50,000 अनुसूचित जाति से हैं और 80,000 मुस्लिम हैं.
सूत्रों के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से 1.5 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें सैनी समुदाय के 35,000 मतदाता के अलावा प्रजापति, गुर्जर, जाट, कश्यप भी शामिल हैं.
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