रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग कर स्वामी मौर्य ने PM मोदी को लिखा पत्र

समर्थ श्रीवास्तव

यूपी में रामचरितमानस पर छिड़े विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने प्रधानमंत्री…

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यूपी में रामचरितमानस पर छिड़े विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग की है.

पीएम मोदी के लिए लिखे गए पत्र में स्वामी मौर्य ने कहा कि भारत का संविधान धर्म की स्वतंत्रता और उसके प्रचार प्रसार की अनुमति देता है. धर्म मानव कल्याण के लिए है. ईश्वर के नाम पर झूठ, पाखंड और अंधविश्वास फैलाना धर्म नहीं हो सकता.

स्वामी मौर्य ने लिखा कि ‘क्या कोई धर्म अपने अनुयायियों को अपमानित कर सकता है. क्या धर्म बैर करना सिखाता है. मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, लेकिन धर्म के नाम पर फैलाई जा रही घृणा और वर्णवादी मानसिकता का विरोध करता हूं. इसलिए हमारी मांग है कि पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाले और हिंसा प्रेरित प्रवचन करने वाले कथावाचकों के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए.’

स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा कि ‘इस विरोधाभासी जीवन को हम कब तक जीते रहेंगे? कब तक हम अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन में समानता को नकारते रहेंगे? यदि हम इसे नकारना जारी रखते हैं तो हम केवल अपने राजनीतिक प्रजातंत्र को संकट में डाल रहे होंगे. हमें जितनी जल्दी हो सके, इस विरोधाभास को समाप्त करना होगा, अन्यथा जो लोग इस असमानता से पीड़ित हैं, वे उस राजनीतिक प्रजातंत्र को उखाड़ फेंकेंगे, जिसे इस सभा ने इतने परिश्रम से खड़ा किया है.’

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स्वामी मौर्य ने लिखा कि बाबा साहब ने अपने भाषण में यह भी कहा था कि इस देश में राजनीतिक सत्ता पर कुछ लोगों का एकाधिकार रहा है और बहुजन न केवल बोझ उठाने वाले, बल्कि शिकार किए जाने वाले जानवरों के समान हैं. इस एकाधिकार ने न केवल उनसे विकास के अवसर छीन लिए हैं, बल्कि उन्हें जीवन के किसी भी अर्थ या रस से वंचित कर दिया है.

नीचे पढ़ें स्वामी मौर्य का पूरा पत्र

बता दें कि स्वामी मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को एक बयान में महाकाव्य श्रीरामचरित मानस की आलोचना करते हुए कहा था कि उसके कुछ अंशों से दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की भावनाएं आहत होती हैं, लिहाजा इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले श्रीरामचरितमानस के ‘पन्ने’ की ‘फोटोकॉपी’ जलाईं थीं.

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