UP में बार-बार बदल रहा मौसम ऐसे में आम उगाने वाले किसान ध्यान दें, लगा ये कीड़ा तो बर्बाद हो जाएगी फसल!
Red Banded Mango Caterpillar: उत्तर प्रदेश में रेड बेंडेड मैंगो कैटरपिलर का हमला आम की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है. विशेषज्ञों ने समय पर छिड़काव और गिरे फलों को हटाने की सलाह दी है. खासतौर पर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे जिलों को सतर्क रहने की जरूरत है.
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Red Banded Mango Caterpillar: गर्मियों की दस्तक के साथ ही रसीले आमों का इंतजार शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश में लोग बेसब्री से आम के मौसम का स्वागत करने को तैयार हैं. लेकिन इस बार आम के बागानों पर एक खतरा भी मंडरा रहा है. पिछले कुछ दिनों में प्रदेश का मौसम तेजी से बदला है. कभी चिलचिलाती धूप, तो कभी अचानक बारिश देखने को मिली. तेज हवाओं ने जहां एक ओर खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को गिरा दिया, वहीं आम के पेड़ों पर लगे टिकोरे भी बड़ी संख्या में जमीन पर गिर गए हैं. मौसम की मार के साथ-साथ अब आम की फसल को एक और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि मटर के आकार का एक कीट होता है जो आम को बुरी तरह प्रभावित करता है और आम को अंदर से खोखला कर देता है. इस खतरनाक कीट का नाम 'रेड बेंडेड मैंगो कैटरपिलर' है. यह कीट खासतौर पर आम के फलों पर ही हमला करता है और इनके पकने से पहले ही फल को बर्बाद कर देता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कीट केवल आम पर ही हमला करता है, किसी अन्य फल पर नहीं. पूर्व मे कई स्थानों पर इस कीट द्वारा फलों में लगभग 42% तक छेद देखे गए हैं.
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
यूपी Tak के सहयोगी 'किसान Tak' से बात करते हुए डॉ. एचएस सिंह ने बताया कि 'जब आम पर फूल आ जाते हैं, उसके बाद यह कीट नींद से वयस्क अवस्था में बदलकर अंडे देता है. शुरुआत में इनकी संख्या कम होती है, लेकिन समय रहते नियंत्रण न किया जाए, तो इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाती है. यह कीट मसूर के आकार के फलों से लेकर पकने की पहली अवस्था तक फलों को प्रभावित करता है.'
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आखिर कैसे पहचानें इस कीट को?
इस कीट को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है. सबसे पहले फल के निचले हिस्से में छेद दिखाई देता है. उस स्थान से हल्की-हल्की पानी की बूंदें निकलती हैं जो कि गोंद की तरह जम जाती हैं. लाल धारीदार कीट का लार्वा फल के निचले वाले हिस्से से अंदर घुसता है, फल को थोड़ा क्षति पहुंचा करके फिर एक फल से निकलकर दूसरे फल में छेद करता है. छोटी अवस्था के टिकोरे छेद सहित लटकते तो रहते हैं, लेकिन बाद में गिर जाते हैं. फल पकने के समय यह कीट पेड़ की छाल, पत्ते या डाल में छिपकर सुसुप्त अवस्था में चला जाता है और अगले वर्ष फूल आने पर फिर सक्रिय हो जाता है.
किसान कैसे करें रोकथाम?
डॉ. सिंह के अनुसार, 'जिन बागों में पिछले वर्ष इस कीट का प्रकोप देखा गया हो, उन किसानों को विशेष रुप से सतर्कता बरतनी चाहिए. आम के फल की मसूर अवस्था में पहला छिड़काव जरुर करें. नीचे गिरे फलों के साथ पिल्लू भी रहता है. गिरे फलों को समय समय पर नष्ट कर दें. डेल्टामथ्रीन 2.8 ईसी 0.5 मिलीलीटर या फिर लैम्डा साइहलोथ्रिन 5 ईसी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से अदल बदलकर छिड़काव कर सकते हैं. यह कीट रात में अधिक सक्रिय होता है, इसलिए दवा का छिड़काव शाम के समय करना चाहिए. स्थानीय किसानों से बातचीत करके यह भी पता चला कि वह स्वेच्छा से या फिर दवा विक्रेता की सलाह पर इमामेक्टिन बेंजोएट 0.5 gram तथा क्लोरोपीरीफोस 2 मिली / लीटर या फिर प्रोफेनोफास 1.5 मिली का भी स्प्रे करके इस कीड़े की रोकथाम करते हैं. सितंबर 2024 से आम के ऊपर मोनोकोर्टोफास तथा मैलाथियान का स्प्रे मना कर दिया गया है इसलिए आप इससे बचें.'
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उत्तर प्रदेश में आम की खेती बहुत महत्व रखती है और राज्य के कई जिलों में भारी मात्रा में आम उगाया जाता है. इनमें मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बरेली, लखनऊ और वाराणसी प्रमुख हैं. खासतौर पर मुजफ्फरनगर को "मैंगो बाउल ऑफ इंडिया" के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह अकेला जिला है जो कि प्रदेश के कुल आम उत्पादन का 20% से अधिक हिस्सा देता है. सहारनपुर अपने विभिन्न आम की किस्मों के लिए जाना जाता है, वहीं बरेली और वाराणसी भी प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्रों में आते हैं. लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम एक खास पहचान रखता है और उसे जीआई टैग भी मिल चुका है. इसके अलावा बुलंदशहर, फैजाबाद, प्रतापगढ़, प्रयागराज और हरदोई जैसे जिले भी आम की पैदावार में अहम योगदान देते हैं. ऐसे जिलों के लोगों के लिए बगानों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है.
(यह खबर यूपी Tak के साथ इंटर्नशिप कर रहे सिद्धार्थ मौर्य ने लिखी है.)