यूपी चुनाव में लोगों को रास आया Koo ऐप का प्लेटफॉर्म, नेताओं को भी प्रचार में मिली मदद
यूपी में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है. कोरोना की गाइडलाइंस को मानते हुए संपन्न…
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यूपी में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है. कोरोना की गाइडलाइंस को मानते हुए संपन्न हुए इस चुनाव में सोशव मीडिया प्लेटफॉर्म्स का जबर्दस्त इस्तेमाल किया गया. फेसबुक, ट्विटर के संग Koo ऐप पर भी नेताओं ने अपने वोटर्स से जुड़ने की हर संभव कोशिश की और इसमें उन्हें कामयाबी भी मिली है. इस बात की तस्दीक Koo ऐप की तरफ से जारी आंकड़े भी करते हैं.
कू ऐप ने पहली बार उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से संबंधित जानकारियां जारी की हैं. इस बार वर्चुअल रैलियों और ई-प्रचार के जरिये प्रमुख रूप से डिजिटल चुनाव प्रचार देखने को मिला, जिसके चलते 10 मूल भाषाओं में ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सक्षम बनाने वाले कू ऐप से प्रत्याशियों के जुड़ने का सिलसिला तेज होता दिखा. इसके साथ ही प्रत्याशियों ने क्षेत्रों में और स्थानीय भाषाओं में अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए इसका जमकर फायदा उठाया.
आंकड़ों से पता चलता है कि पांच राज्यों के 690 नवनिर्वाचित विधायकों में से लगभग 28.4 प्रतिशत यानी 196 उम्मीदवार चुनावी मौसम के दौरान इस मंच पर मौजूद थे और इन्होंने मतदाताओं के साथ रीयल टाइम में ई-कनेक्ट करने, अपडेट देने, प्रतिक्रिया जानने के लिए कू ऐप की बहुभाषी विशेषताओं का जमकर इस्तेमाल किया. भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में खुद की अभिव्यक्ति का अधिकार देकर सभी को एक साथ जोड़ने के Koo App के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मंच पर इस दौरान कई फीचर्स पेश किए गए. इनमें चुनाव अपडेट, चैट रूम और लाइव फीचर जैसे विशेष टैब शामिल रहे, जो मतदाताओं के बीच उमीदवारों को अपनी बात ऑनलाइन रखने और सार्वजनिक चर्चा में जुड़ने में मदद करते हैं.
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यह डेटा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे दो महत्वपूर्ण राज्यों पर केंद्रित है. इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और अन्य राजनीतिक दलों के जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या दिखाई गई है, जिन्होंने चुनाव से पहले मतदाताओं के जोश को बढ़ाने के लिए मंच और इसके फीचर्स का इस्तेमाल किया.
उम्मीदवारों ने जमकर बहुभाषी कू (MLK or Multi-Lingual Koo) फीचर का इस्तेमाल किया. एमएलके फीचर मंच पर मौजूद विभिन्न भाषाओं में एक संदेश को रीयल टाइम में अनुवाद करने में सक्षम बनाता है. इस फीचर में पिछले दो महीनों की तुलना में 10 जनवरी से 10 मार्च 2022 की अवधि के दौरान इस्तेमाल में 442 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसमें उम्मीदवारों ने एमएलके का इस्तेमाल इलाके में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए किया.
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इस संबंध में कू ऐप के एक प्रवक्ता ने कहा, “कू ने सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को भारतीय भाषाओं की ताकत का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाया है और पांच राज्यों के नवनिर्वाचित विधायकों में से एक चौथाई से अधिक ने अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए हमारे मंच का लाभ उठाया है, MLK फीचर का इस्तेमाल हमारे इस विश्वास को और दोहराता है कि बहुभाषी भारत को एक बहुभाषी मंच की जरूरत है जिस पर खुद को अभिव्यक्त किया जा सके. एक पारदर्शी, निष्पक्ष और तटस्थ ऐप के रूप में कू ने न केवल उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच बातचीत और जुड़ाव को सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि जागरूकता बढ़ाने और मतदाताओं को एक सजग फैसला लेने के लिए संवेदनशील बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा, कू ऐप लोगों के मूड का आइना है, जो फर्जी खातों और बॉट्स द्वारा बिना किसी छेड़छाड़ के सामने आता है. 95 प्रतिशत से अधिक कू यूजर्स ने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके अपना खाता बनाया है, जिससे प्लेटफॉर्म पर बॉट्स की मौजूदगी सीमित हो गई है.”
चुनावों के दौरान मुख्य रूप से यूपी और पंजाब से, कू ऐप पर चर्चा ने मतदाताओं की संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित किया. यूपी के मतदाता बड़े पैमाने पर योगी आदित्यनाथ की वर्तमान भाजपा सरकार को फिर से चुनने के लिए बातचीत में लगे हुए थे. चर्चाओं में योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, राहुल गांधी और अपर्णा यादव जैसे प्रमुख नेताओं का भी नाम जमकर सामने आया.
कू के बारे में
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Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी. Koo App यूजर्स को हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में अपनी बात रखने का ऑप्शन देता है. इसकी एक विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है. यह प्लेटफॉर्म 2 करोड़ डाउनलोड का मील का पत्थर छू चुका है और राजनीति, खेल, मीडिया, मनोरंजन, आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति के मशहूर लोग द्वारा अपनी मूल भाषा में दर्शकों से जुड़ने के लिए सक्रिय रूप से मंच का लाभ उठाते हैं.
(इनपुट: Koo ऐप की तरफ से जारी रिलीज).
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