सुब्रत रॉय का हुआ निधन, जानिए अब लोगों को कैसे मिलेगा सहारा में लगाया हुआ पैसा

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सहारा ग्रुप (Sahara India Pariwar) के चेयरमैन और देश के जाने-माने कारोबारी सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का निधन हो चुका है. बीते मंगलवार को सुब्रत रॉय ने मुंबई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. सुब्रत रॉय के निधन के बाद से वह लोग चिंता में हैं, जिनका पैसा सहारा निवेश में फंसा हुआ है. दरअसल देश के हजारों लोगों का पैसा सहारा में फंसा हुआ है. अब जब सहारा सुप्रीमो की मौत हो गई है, तो ऐसे में वह लोग चिंता में आ गए हैं. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि अब उनका पैसा, उन्हें कैसे मिलेगा?

हम आपको बताते हैं कि जिन लोगों ने सहारा में पैसा लगा रखा है, उन्हें उनका पैसा कैसे वापस मिलेगा.

दरअसल, इस साल जुलाई में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सहारा रिफंड पोर्टल https://mocrefund.crcs.gov.in  का शुभारंभ किया था. इस पोर्टल को सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों – सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के प्रामाणिक जमाकर्ताओं द्वारा दावे प्रस्तुत करने के लिए विकसित किया गया था.

18 लाख से ज्यादा लोग कर चुके हैं अप्लाई

सहकारिता मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगस्त महीने तक 18 लाख से ज़्यादा लोगों ने पोर्टल पर अप्लाई किया. बता दें कि जुलाई में लॉंच हुए पोर्टल के माध्यम से पहले निवेशकों को, जिनकी जमाराशि 10,000 रूपए या इससे अधिक है, उसमें से 10,000 रूपए तक की राशि का भुगतान किया जाएगा. पोर्टल पर आवेदन करने के लिए चारों समितियों का पूरा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध है. इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी और किसी भी प्रामाणिक निवेशक के साथ अन्याय नहीं हो सकता. इस मामले पर सहकारिता मंत्रालय का साफ कहना है कि जिन लोगों ने निवेश किया है, उन्हें रिफंड मिलेगा तो वहीं जिन्होंने निवेश नहीं किया है, उन्हें किसी कीमत पर भी रिफंड नहीं मिलेगा.

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बता दें कि निवेशकों के आवेदन भरने के लिए Common Service Centre (CSC) की व्यवस्था की गई है. निवेशकों के लिए दो प्रमुख शर्तें हैं- पहली, निवेशक का आधार कार्ड उसके मोबाइल के साथ लिंक्ड हो, और, आधार कार्ड उसके अपने बैंक अकाउंट के साथ लिंक्ड हो.

रिफंड के लिए पंजीकरण जरूरी है

बता दें कि पोर्टल के जरिये रिफंड के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करना ज़रूरी है. इसके लिए सरकार ने व्यवस्था बना रखी है. आप जब पंजीकरण करने के बाद फॉर्म भर लेते हैं. सभी जानकारी, सहारा स्कीम में पैसा जमा करने की रसीद आदि डिटेल अपलोड कर देते हैं, इसके बाद 45 दिन का वक्त लगेगा. यहां सबसे अहम बात है कि सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए पंजीकरण करवाने के लिए आपका मोबाइल नंबर आधार से और आपके बैंक खाते से लिंक होना चाहिए. अगर आपका मोबाइल नंबर आपके बैंक खाते या आधार से लिंक नहीं है तो पंजीकरण करना मुश्किल होगा.

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कैसे पता लगेगा मिल गया रिफंड?

बता दें कि अगर रिफंड मंजूर हो जाता है, तो आपको इस बारे में सूचना SMS के जरिए प्राप्त हो जाएगी. मगर यहां एक बात ध्यान देने वाली है. आवेदन करते समय जो नंबर डालना है, उसे बदलना नहीं है. आप बैंक अकाउंट नंबर दोबारा नहीं बदल सकते. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना है कि अगर आपका बैंक अकाउंट नंबर आधार से लिंक नहीं है, तो आप रिफंड के लिए आवेदन नहीं कर सकते. सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए आवदेन करने के लिए निवेशक के पास मेंबरशिप नंबर, जमा अकाउंट नंबर, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, डिपॉजिट सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज जरूरी हैं.

45 दिनों में पूरा होगा प्रोसेस

बता दें कि निवेशक खुद से इस पोर्टल पर लॉगिन करके अपना नाम रजिस्टर्ड कर सकते हैं और वेरिफिकेशन के बाद पैसे वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी. पैसों की वापसी का ये पूरा प्रोसेस 45 दिनों में पूरा होगा. अप्लाई किए जाने के बाद  सहारा इंडिया निवेशकों के दस्तावेज Sahara Group की समितियों द्वारा 30 दिन में वेरिफाई किए जाएंगे और ऑनलाइन क्लेम दर्ज करने के 15 दिन के भीतर SMS के जरिए उन निवेशकों को सूचित कर दिया जाएगा.

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मदद के लिए तैयार रहेंगे अधिकारी

बता दें कि कोर्ट ने 29 मार्च, 2023 के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान के लिए “सहारा-सेबी रिफंड खाते” से 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केन्द्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित किए जाएं.

भुगतान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी और इसका पर्यवेक्षण सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी करेंगे, जिसमें उनकी सहायता के लिए वकील गौरव अग्रवाल को नियुक्त किया गया है. इन चारों समितियों से संबंधित रिफंड प्रक्रिया में सहायता के लिए 4 वरिष्ठ अधिकारियों को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के रूप में नियुक्त किया गया है.

बता दें कि भुगतान की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलैस है और दावे प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया पोर्टल इस्तेमाल करने के लिए आसान है. बता दें कि अपनी पहचान को साबित करने के लिए जमाकरताओं का आधार कार्ड के जरिए सत्यापन किया जाएगा. बता दें कि इस पूरी प्रक्रिया को काफी आसान बनाय गया है, जिससे जमाकर्ता आसानी से रिफंड के लिए अप्लाई कर सके.

(Jitendra Bahadur Singh के इनपुट के साथ)

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