नहीं रहे STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार, शामली में एक लाख के बदमाश को ढेर कर अस्पताल में हारे जिंदगी की जंग
शामली में बदमाशों के साथ हुई STF की मुठभेड़ मामले को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. आपको बता दें कि इस मुठभेड़ में घायल हुए STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई.
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STF Inspector Sunil Kumar News: शामली में बदमाशों के साथ हुई STF की मुठभेड़ मामले को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. आपको बता दें कि इस मुठभेड़ में घायल हुए STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई. एनकाउंटर में सुनील कुमार के पेट में 3 गोलियां लगी थीं. गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इंस्पेक्टर सुनील का इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके. मालूम हो कि इस मुठभेड़ में एक लाख रुपये का इनामी अपराधी और उसके तीन साथी मारे गए थे.
पैतृक गांव बना-मसूरी ले जाया जाएगा सुनील कुमार का शव
मिली जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन में इंस्पेक्टर सुनील के गॉल ब्लेडर को हटाना पड़ा था. साथ ही डॉक्टरों ने उनकी बड़ी आंत का कुछ हिस्सा काटकर भी निकाला था. मुठभेड़ के दौरान एक गोली इंस्पेक्टर सुनील के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी. पोस्टमॉर्टम के बाद इंस्पेक्टर सुनील कुमार के शव को उनके पैतृक गांव बना-मसूरी (मेरठ) ले जाया जाएगा.
कौन थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार?
सुनील कुमार मूल रूप से मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव के रहने वाले थे. उनके पिता का नाम चरण सिंह है. सुनील 1 सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. एसटीएफ का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर हरियाणा में कमांडो कोर्स किया था. इसके बाद 1 जनवरी 2009 में भी स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए. 16 साल से वह एसटीएफ का हिस्सा थे. सुनील का 7 अगस्त 2002 को हेड कॉन्स्टेबल के पद पर प्रमोशन हुआ.
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13 मार्च 2008 को जनपद फतेहपुर में हुई मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर को मार गिराने में सुनील कुमार ने अपनी जान जोखिम में डाली थी और साहस और शौर्य के लिए उनको 16 सितंबर 2011 में आउट ऑफ ट्रेन प्रमोशन देकर हेड कॉन्स्टेबल से प्लाटून कमांडर पद पर प्रमोशन दिया गया था.
इसी के चलते 22 अप्रैल 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोशन किया गया. एसटीएफ में उनका कई बड़ी घटनाओं में योगदान रहा और सोमवार रात वह एक लाख के इनामी अरशद सहित चार बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराने वाली टीम में रहे थे.
मुठभेड़ को लेकर एडीजी अमिताभ यश ने क्या बताया था?
एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने एक बयान में बताया था, "सोमवार तथा मंगलवार की दरम्यानी रात एसटीएफ (मेरठ) की टीम के साथ हुई मुठभेड़ में मुस्तफा कग्गा गिरोह के सदस्य अरशद और उसके तीन अन्य साथी मंजीत, सतीश एवं एक अज्ञात मारे गए.’ यश ने बताया था, ‘‘अरशद, सहारनपुर के बेहट थाने में दर्ज लूट के एक मामले में वांछित था. मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक ने उस पर एक लाख रुपये के इनाम की घोषणा कर रखी थी. अरशद के खिलाफ डकैती, लूट और हत्या के लगभग 21 मामले दर्ज हैं.’’
एसटीएफ के एक बयान के अनुसार मुठभेड़ में मारे गए आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने .30 बोर की कार्बाइन, .30 बोर की एक पिस्तौल, .32 बोर की एक पिस्तौल, 315 बोर के दो तमंचे, 315 बोर का एक पौनिया, 25 अदद जिंदा कारतूस .30 बोर के अलावा विभिन बोर के कारतूस बरामद किए गए. आरोपियों की सफेद रंग की ब्रेजा कार भी पुलिस ने जब्त कर ली थी.
एसटीएफ के अनुसार 2011 में कुख्यात सरगना मुस्तफा उर्फ कग्गा के पुलिस मुठभेड़ में सहारनपुर में मारे जाने के बाद इस गिरोह की कमान शातिर अपराधी मुकीम काला ने संभाली थी. मुकीम काला को 2015 में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया. वर्ष 2021 में चित्रकूट जिला कारागार में गैंगवार में मुकीम काला मारा गया. उसकी मौत के बाद अरशद ने गिरोह की कमान संभाल ली. एसटीएफ के मुताबिक हरियाणा के शूटर मनजीत दहिया को साथ मिलाकर अरशद ने गैंग को पुनर्जीवित किया और हत्या, लूट समेत विभिन्न आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया.
एसटीएफ के अनुसार सहारनपुर जिले के गंगोह थाना क्षेत्र के बाढ़ी माजरा निवासी अरशद के खिलाफ कुल 21 मामले दर्ज हैं. सोनीपत निवासी मनजीत उर्फ ढिल्ला के खिलाफ हरियाणा, सहारनपुर और शामली में कुल पांच मामले तथा करनाल निवासी सतीश के खिलाफ हरियाणा के करनाल और पानीपत तथा उत्तर प्रदेश के शामली में चार मामले दर्ज हैं.
मेरठ से उस्मान चौधरी के इनपुट्स के साथ.