रेडियो इन प्रिजन: कैदियों की कहानी को भी खूबसूरत बनाने की एक मुकम्मल कोशिश है वर्तिका नंदा की ये किताब

हर्ष वर्धन

'रेडियो इन प्रिजन' भारत की पहली किताब है जो जेल रेडियो के विकास और उसके सुधारात्मक प्रभाव को दर्शाती है. इसे दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में लॉन्च किया गया.

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Book Launch: Radio in Prison
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भारत की जेलों में बदलाव की बयार बह रही है. इस परिवर्तन का श्रेय जेल रेडियो को दिया जा सकता है. जेलों में बंदियों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली पहल 'तिनका जेल रेडियो' अब एक ऐतिहासिक किताब का हिस्सा बन गई है. 'रेडियो इन प्रिजन' नामक यह किताब भारतीय जेलों में रेडियो की शुरुआत, उसके विकास और उसके भविष्य को विस्तार से प्रस्तुत करती है. इस पुस्तक का दिल्ली स्थित भारत मंडपम में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले के दौरान विमोचन किया गया. 

पुस्तक विमोचन के मौके पर कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) के चेयरमैन मिलिंद सुधाकर मराठी, NBT के एडिटर इन चीफ कुमार विक्रम, डीआईजी प्रिजन्स (आगरा रेंज) पीएन पांडे, ब्रूट इंडिया की एडिटर इन चीफ महक कासबेकर और इस किताब की लेखिका वर्तिका नंदा शामिल थीं. यह किताब जेलों में रेडियो के प्रभाव और उसके जरिए हो रहे सकारात्मक बदलावों की कहानी को विस्तार से दर्शाती है.

जेल रेडियो: सुधार की एक नई पहल

डीआईजी पी.एन. पांडे के अनुसार, जेल रेडियो के आने के बाद जेलों में गुस्से और निराशा में कमी देखी गई है. कोरोना काल के दौरान यह रेडियो बंदियों के लिए मानसिक संबल बनकर सामने आया और आज यह बंदियों के लिए शिक्षा और कला को निखारने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है.

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वर्तिका नंदा के नेतृत्व में 2019 में आगरा जिला जेल में पहला जेल रेडियो लॉन्च किया गया, जिसमें बंदियों का चयन और ट्रेनिंग दी गई. इसके बाद देहरादून और हरियाणा की जेलों में भी इस रेडियो की शुरुआत की गई, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई.

तिनका जेल रेडियो: भारत का सबसे व्यवस्थित जेल रेडियो मॉडल

'रेडियो इन प्रिजन' किताब में तिनका जेल मॉडल को भारत के सबसे व्यवस्थित जेल रेडियो मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया है. यह बंदियों के खाली समय के सदुपयोग और उनके मानसिक व सामाजिक सुधार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है. कार्यक्रम का संचालन महक कासबेकर ने किया, जिन्होंने जेल सुधारों से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवाल वक्ताओं से पूछे. 

उत्तर प्रदेश में जेल रेडियो का प्रभाव

2019-20 के दौरान वर्तिका नंदा ने ICSSR (इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च) के सहयोग से भारतीय जेलों में महिला बंदियों की संवाद आवश्यकताओं पर शोध किया था. इस शोध को 2020 में उत्कृष्ट घोषित किया गया और 2024 में इसका विमोचन यूपी के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया. इस शोध में जेल रेडियो को लेकर दिए गए सुझावों को उत्तर प्रदेश की जेलों में लागू करने का प्रयास किया गया. आगरा जिला जेल का रेडियो यूपी का दूसरा जेल रेडियो था और इसके बाद राज्य में अन्य जिलों में भी इसे लागू करने की योजना बनाई गई.

तिनका तिनका डासना: यूपी की जेलों पर शोध आधारित किताब

2016 में प्रकाशित 'तिनका तिनका डासना' किताब यूपी की जेलों और आजन्म कारावास की सजा भुगत रहे बंदियों की कहानियों को उजागर करती है. इस किताब में आरुषि हत्याकांड में सजा काट रहे तलवार दंपति का पहला जेल इंटरव्यू भी शामिल था. बाद में इस किताब का डॉ. नूपुर तलवार द्वारा अंग्रेजी अनुवाद किया गया.

तिनका इंडिया अवॉर्ड्स और यूपी की जेलें

2019 में लखनऊ जिला जेल में "तिनका इंडिया अवॉर्ड्स" का भव्य आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम का विषय 'जेल में रेडियो था. इसमें आगरा जेल से दो बंदियों को विशेष अनुमति से लखनऊ लाकर जेल महानिदेशक द्वारा सम्मानित किया गया था. 2024 में तिनका अवॉर्ड्स के 10 साल पूरे होने पर भी यूपी की जेलों के बंदियों को विशेष सम्मान प्रदान किया गया.

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