CO जियाउल हक हत्याकांड: क्लोजर रिपोर्ट का परीक्षण शुरू, UP चुनाव में भी उछला मुद्दा
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच 8 साल पुराना प्रतापगढ़ का सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामला चर्चा का विषय बन गया…
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उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच 8 साल पुराना प्रतापगढ़ का सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामला चर्चा का विषय बन गया है. समाजवादी पार्टी ने इस मामले के आरोपी रोशन यादव को अपना प्रत्याशी बनाया तो एक बार फिर हत्याकांड की चर्चा तेज हो गई है.
वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने सीओ जियाउल हक हत्याकांड में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट का परीक्षण शुरू कर दिया है. आखिर क्या था सीओ जियाउल हक हत्याकांड और क्या है फिलहाल इसकी कानूनी स्थिति? आइए समझते हैं.
2 मार्च 2013 की शाम प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में तत्कालीन प्रधान नन्हे यादव की उस वक्त हत्या कर दी गई, जब बलीपुर गांव में एक विवादित जमीन का मसला सुलझाने के लिए वह कामता पाल के घर पहुंचे थे. बाइक से आए बदमाश प्रधान नन्हे यादव को गोली मारकर फरार हो गए थे. प्रधान की हत्या की खबर उनके समर्थकों को मिली तो उन लोगों ने कामता पाल के घर में आग लगा दी.
घायल नन्हे यादव को इलाज के लिए अस्पताल भी ले जाया गया था. हालांकि, उनकी मौत हो गई थी. लोगों में बढ़ते आक्रोश और हुजूम के बीच नन्हे यादव का शव बिना पोस्टमॉर्टम के ही गांव पहुंच गया.
मामला हत्या का था, ऐसे में बिना पोस्टमॉर्टम के शव गांव पहुंचने की खबर तत्कालीन सीओ जियाउल हक को मिली तो वह अपने लाव लश्कर के साथ गांव वालों से बात करने पहुंच गए. लेकिन गांव में हिंसा शुरू हो गई, पथराव शुरू हो गया, कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा के साथ सीओ जियाउल हक जैसे ही गांव में पहुंचे तो गली में गांव वालों ने पुलिस पर हमला बोल दिया.
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इसी अफरा-तफरी में हुई फायरिंग में नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की भी गोली लगने से मौत हो गई. इधर गांव वालों के हमला बोलते ही पुलिस वाले भाग गए और जियाउल हक गुस्साए गांव वालों की भीड़ का शिकार हो गए.
बलीपुर गांव में हुए इस हत्याकांड में कुल 4 एफआईआर दर्ज करवाई गईं. जिसमें एक एफआईआर नन्हे यादव हत्याकांड की, दूसरी एफआईआर पुलिस पार्टी पर हमले की, तीसरी एफआईआर सुरेश यादव की हत्या की और चौथी एफआईआर में सीओ जियाउल हक की हत्या की. मामले में तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला के तरफ से नन्हें यादव के भाइयों, बेटे समेत 10 लोगों को नामजद किया गया.
इस मामले में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने भी हत्या की तहरीर दी. पत्नी परवीन आजाद की तरफ से दर्ज करवाई गई एफआईआर में कुल 5 लोगों को नामजद किया. जिसमें तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, राजा भैया के ड्राइवर रहे संजय सिंह उर्फ गुड्डू और खुद राजा भैया नामजद किए गए.
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जिस वक्त प्रतापगढ़ में सीओ जियाउल हक की हत्या हुई, उस वक्त राजा भैया विधानसभा सत्र के चलते लखनऊ में मौजूद बताए गए. हत्याकांड के अगले ही दिन राजा भैया ने भी इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात की और मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई.
सीबीआई ने जांच शुरू की और अप्रैल 2013 में नन्हे यादव के बेटे पवन यादव, बबलू यादव, फूलचंद यादव और मंजीत यादव को जियाउल हक के मर्डर केस में अरेस्ट भी किया. लेकिन सीबीआई ने जांच के दौरान गुलशन यादव और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को क्लीन चिट दे दी और इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी.
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में लिखा गया कि जांच के दौरान सीओ जियाउल हक की हत्या किसी सोची समझी साजिश का हिस्सा नहीं थी. हाई कोर्ट में दाखिल की गई इस क्लोजर रिपोर्ट पर परवीन आजाद ने आपत्ति दर्ज करवाई.
परवीन आजाद ने अपनी आपत्ति में एक आरोपी पवन यादव के द्वारा जेल से भेजे गए पत्र का जिक्र किया, जिसमें पवन यादव ने परवीन आजाद को पत्र लिखकर कहा था कि सीओ की हत्या राजा भैया के इशारे पर उनके शूटर नन्हे सिंह ने की थी.
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परवीन आजाद ने पवन यादव के इसी पत्र पर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि सीबीआई ने तमाम तथ्यों को नजरअंदाज किया है. परवीन आजाद के आरोपों की जांच नहीं हुई है.
सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि सीबीआई इस मामले में जांच का दोबारा से परीक्षण कर ले, कहीं कोई तथ्य रह ना जाए. फिलहाल सीबीआई ने भी हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीओ जियाउल हक हत्याकांड की रिपोर्ट का परीक्षण शुरू कर दिया है. जांच में सामने आए तथ्यों को दोबारा से परखा जा रहा है.
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